tag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post3791050632423710898..comments2024-03-26T21:28:18.938+05:30Comments on शाश्वत शिल्प : श्रद्धा और तर्कमहेन्द्र वर्माhttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-53664181552452791792014-07-26T03:43:06.645+05:302014-07-26T03:43:06.645+05:30तर्क प्रमाण चाहता है और श्रध्दा विश्वास । सुंदर आल...तर्क प्रमाण चाहता है और श्रध्दा विश्वास । सुंदर आलेख।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-60567810921464352752014-06-30T15:19:32.286+05:302014-06-30T15:19:32.286+05:30अपनी अपनी जगह पर दोनों ही मानी हैं ...
विचार करती...अपनी अपनी जगह पर दोनों ही मानी हैं ... <br />विचार करती पोस्ट ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-77539571385338002262014-06-27T14:19:43.310+05:302014-06-27T14:19:43.310+05:30विचारणीय और अर्थपूर्ण बिंदु लिए पोस्ट विचारणीय और अर्थपूर्ण बिंदु लिए पोस्ट डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-15686825781763584282014-06-27T08:13:41.346+05:302014-06-27T08:13:41.346+05:30वर्मा सा.
आपकी बातें सदा तर्कसंगत और इतने सहज रूप...वर्मा सा. <br />आपकी बातें सदा तर्कसंगत और इतने सहज रूप में अभिव्यक्त होती हैं कि सन्देह की कोई सम्भावना नहीं रहती. श्रद्धा और विश्वास ऐसी मानसिक अवस्थाएँ हैं, जो समाज का एक अविभाज्य अंग हैं और समाज के साथ ही समानांतर रूप से विकसित होती रहती हैं.<br /><br />इसके विषय में बस एक ही तर्क पर्याप्त है:जिन्हें विश्वास/श्रद्धा है उनके लिये कोई तर्क आवश्यक नहीं.<br /><br />जिन्हें अश्रद्धा/अविश्वास है उनके लिये कोई भी तर्क पर्याप्त नहीं! <br /><br />सामयिक आलेख!<br /><br /><br />चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com