tag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post3824920326361898151..comments2024-03-26T21:28:18.938+05:30Comments on शाश्वत शिल्प : सारी दुनियामहेन्द्र वर्माhttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-52814826311381566542010-12-17T17:27:20.845+05:302010-12-17T17:27:20.845+05:30संबंधों के फूल महकते, थे जो सारे सूख गए हैं,...संबंधों के फूल महकते, थे जो सारे सूख गए हैं,<br />ढाई आखर के मतलब को भूल चुकी है सारी दुनिया।<br />bahut sundar!<br />aaj muh baaye khade saare dushparinaamon ka lekha jokha prastut karti gahan rachnatmakta!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-79442813504418926502010-12-09T14:00:51.875+05:302010-12-09T14:00:51.875+05:30"मां की ममता के आंगन में, थिरक रहा है बचपन सा..."मां की ममता के आंगन में, थिरक रहा है बचपन सारा,<br />उसके आंचल के कोने से, नहीं बड़ी है सारी दुनिया।"<br /><br />माँ के प्रति समर्पित भावभीनी रचना , शुभकामनायें भाई जी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-80477395495189236062010-12-06T06:32:37.181+05:302010-12-06T06:32:37.181+05:30.
अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकि....<br /><br />अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,<br />मंगल ग्रह पर महल बनाने, मचल उठी है सारी दुनिया।<br /><br /> कौन सोचता है किसी के बारे में, सबको अपने से ही मतलब होता है। कोई मरे या जिए। लोग तो मंगल पर घर बनायेंगे । मुकेश अंबानी और शारूक खान जैसे लोगों के महल वहां जगमगायेंगे। ।<br /><br />धरती हो या आकाश, समस्त कायनात अमीरों के लिए ही लगती है।<br /><br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-32116424994073001942010-12-05T19:52:57.179+05:302010-12-05T19:52:57.179+05:30आंधी तूफां तो जीवन में, आते जाते ही रहते हैं,
न...आंधी तूफां तो जीवन में, आते जाते ही रहते हैं,<br />नई नई उम्मीदों से भी, भरी भरी है सारी दुनिया।<br /><br />क्या कहने !Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-90825613049043994892010-12-05T18:09:46.193+05:302010-12-05T18:09:46.193+05:30मां की ममता के आंगन में, थिरक रहा है बचपन सारा,
उस...मां की ममता के आंगन में, थिरक रहा है बचपन सारा,<br />उसके आंचल के कोने से, नहीं बड़ी है सारी दुनिया।..<br /><br />बहुत लाजवाब ... सच है मया का आँचल इतना विशाल है .. सब कुछ समा जाता है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-69608724316063451592010-12-04T16:44:15.532+05:302010-12-04T16:44:15.532+05:30महेन्द्र भाई, आपकी गजल में समा गयी सारी दुनिया।
...महेन्द्र भाई, आपकी गजल में समा गयी सारी दुनिया।<br /><br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-85506613229185988772010-12-04T16:23:53.159+05:302010-12-04T16:23:53.159+05:30बहुत सुन्दर ग़ज़ल है खास कर ये शेर पसंद आया ...
अनगि...बहुत सुन्दर ग़ज़ल है खास कर ये शेर पसंद आया ...<br />अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,<br />मंगल ग्रह पर महल बनाने, मचल उठी है सारी दुनिया।Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-75670583846090145462010-12-04T08:07:41.549+05:302010-12-04T08:07:41.549+05:30ढूंढ रहा था मैं दुनिया को, देखा जब तो सिहर गया,
ला...ढूंढ रहा था मैं दुनिया को, देखा जब तो सिहर गया,<br />लाशों के मलबे के नीचे, दबी पड़ी है सारी दुनिया.....<br />मुझे ये पंक्तिया बहुत पसंद आई ...........<br />बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति .........अशोक कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/03444418418103980067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-36934426614049995632010-12-03T19:29:38.449+05:302010-12-03T19:29:38.449+05:30अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,
...अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,<br />मंगल ग्रह पर महल बनाने, मचल उठी है सारी दुनिया।<br /><br />बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्तिrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-59303205302613096852010-12-03T19:05:04.052+05:302010-12-03T19:05:04.052+05:30वारुदी पंख लगा कर ,नागासाकी न हो जाये का डर । ब्लै...वारुदी पंख लगा कर ,नागासाकी न हो जाये का डर । ब्लैक होल में दुनिया के समा जाने का डर, ढाई अक्षर के मतलव को भूल गई है इसी लिये तो ये आलम हो रहा हैBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-35781316427707283272010-12-03T18:22:14.604+05:302010-12-03T18:22:14.604+05:30जाने कितने पिण्ड सृष्टि के, ब्लैक होल में बदल गए,
...जाने कितने पिण्ड सृष्टि के, ब्लैक होल में बदल गए,<br />धरती उसमें समा न जाए, सहम गयी है सारी दुनिया।<br /><br />युगबोध कराता हुआ बेहतरीन शेर,आपको इसकी ख़ास बधाई.<br />वैसे पूरी ग़ज़ल प्यारी है.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-5302454535204837322010-12-03T16:35:34.912+05:302010-12-03T16:35:34.912+05:30यथार्थ को उजागर करती बेहद उम्दा गज़ल्।यथार्थ को उजागर करती बेहद उम्दा गज़ल्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-7934527978012337142010-12-03T13:48:50.309+05:302010-12-03T13:48:50.309+05:30आंधी तूफां तो जीवन में, आते जाते ही रहते हैं,
न...आंधी तूफां तो जीवन में, आते जाते ही रहते हैं,<br />नई नई उम्मीदों से भी, भरी भरी है सारी दुनिया।<br />उम्मीदों का दामन पकड़ कर ही चल रही है दुनिया . सुन्दर ग़ज़ल .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-87321184287120108922010-12-03T12:56:16.546+05:302010-12-03T12:56:16.546+05:30अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,
...अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,<br />मंगल ग्रह पर महल बनाने, मचल उठी है सारी दुनिया।<br /><br />बहुत सार्थक गज़ल ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-14033913681663737652010-12-03T10:14:44.227+05:302010-12-03T10:14:44.227+05:30ढूंढ रहा था मैं दुनिया को, देखा जब तो सिहर गया,
ला...ढूंढ रहा था मैं दुनिया को, देखा जब तो सिहर गया,<br />लाशों के मलबे के नीचे, दबी पड़ी है सारी दुनिया।<br />जमीनी यथार्थ है ये तो ....M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-66550367408739934322010-12-02T23:58:11.367+05:302010-12-02T23:58:11.367+05:30समकालीन परिस्थिति पर मारक ग़ज़ल..समकालीन परिस्थिति पर मारक ग़ज़ल..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-13550640377247701912010-12-02T23:55:23.939+05:302010-12-02T23:55:23.939+05:30विचारोत्तेजक, आज के हालात पर काफ़ी गंभी प्रस्तुति।...विचारोत्तेजक, आज के हालात पर काफ़ी गंभी प्रस्तुति। आभार आपका।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-24416125064520411662010-12-02T23:26:42.747+05:302010-12-02T23:26:42.747+05:30ढूंढ रहा था मैं दुनिया को, देखा जब तो सिहर गया,
ला...ढूंढ रहा था मैं दुनिया को, देखा जब तो सिहर गया,<br />लाशों के मलबे के नीचे, दबी पड़ी है सारी दुनिया।<br />हकीकत को शब्दों में पिरोया है........बेहतरीन रचना डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-70085306907424026852010-12-02T23:15:35.750+05:302010-12-02T23:15:35.750+05:30mangal grah par mahal banane mavhal uthi sari duni...mangal grah par mahal banane mavhal uthi sari duniya....sahi kaha .aaj duniya jo nahi hai usi ko pane ko pagal hai jo hai use sahejne me kisi ki koi ruchi nahi hai ...shalini kaushikhttp://shalinikaushik2.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-69445788570857467442010-12-02T23:04:44.490+05:302010-12-02T23:04:44.490+05:30ढ़ाई आखर के मतलब को भूल चुकी है दुनिया।
अच्छी ग़ज़ल्...ढ़ाई आखर के मतलब को भूल चुकी है दुनिया।<br /><br />अच्छी ग़ज़ल्। बधाई वर्मा जी।ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηιhttps://www.blogger.com/profile/05121772506788619980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-4749223662089429772010-12-02T21:44:01.823+05:302010-12-02T21:44:01.823+05:30mahnedra sir...aaj ke daur kee padtaal karti hui g...mahnedra sir...aaj ke daur kee padtaal karti hui ghazal kahi hai aapne.... khubsurat hai ...स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-43830910319185846502010-12-02T21:02:21.138+05:302010-12-02T21:02:21.138+05:30महेंद्र जी
सच्चाई बयां करती हुई बहुत ही सार्थक ग...महेंद्र जी<br /><br />सच्चाई बयां करती हुई बहुत ही सार्थक गजल. ..........उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-17992433207313893442010-12-02T20:43:00.240+05:302010-12-02T20:43:00.240+05:30आप सबके प्रति हृदय से आभार।आप सबके प्रति हृदय से आभार।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-48458337390033290572010-12-02T20:06:27.464+05:302010-12-02T20:06:27.464+05:30अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,
...अनगिन लोग हैं जिनके सर पर, छत की छांव नहीं लेकिन,<br />मंगल ग्रह पर महल बनाने, मचल उठी है सारी दुनिया।<br /><br />समसामयिक विषय पर गहन चिंतन से परिपूर्ण एक सटीक अभिव्यक्ति.गज़ल का हरेक शेर दिल को छू लेता है..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-72945273942669085702010-12-02T19:55:13.809+05:302010-12-02T19:55:13.809+05:30महेंद्र जी! सादर बस इतना ही कहना चाहता हूं कि
बहर...महेंद्र जी! सादर बस इतना ही कहना चाहता हूं कि <br /><b>बहर कहीं पर बहकी है, पर भाव बहुत ही गहरे हैं<br />जाने कब समझेगी आखिर ये बातें सारी दुनिया.</b>चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com