tag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post7524106747641002129..comments2024-03-26T21:28:18.938+05:30Comments on शाश्वत शिल्प : छत्तीसगढ़ी में संस्कृत के शब्दमहेन्द्र वर्माhttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-48935336352657685932019-11-22T01:23:32.634+05:302019-11-22T01:23:32.634+05:30मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार ह...मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।<br /><a href="https://www.santalimp3.com" rel="nofollow">Santali Mp3 Download</a>Sagarhttps://www.blogger.com/profile/07613515501974115420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-4725616107499815682019-11-21T13:38:02.802+05:302019-11-21T13:38:02.802+05:30आभारआभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-42520390200095864042019-11-20T10:34:22.314+05:302019-11-20T10:34:22.314+05:30@ आ. भूषण जी, महत्वपूर्ण टिपण्णी के लिए आभार.
आपके...@ आ. भूषण जी, महत्वपूर्ण टिपण्णी के लिए आभार.<br />आपके विचार सही हैं.<br />मैं इतना और जोड़ना चाहूँगा कि किसी भी भाषा का विकास जनभाषा या लोकभाषा से ही होता है . जिसे विद्वान संस्कृत काल कहते हैं उस काल में पालि और प्राकृत लोक व्यवहार की भाषा अवश्य रही होगी . इसी लोकभाषा को संस्कारित कर संस्कृत भाषा का स्वररूप दिया गया . सामान्य तर्क के अनुसार, कालक्रम में और पीछे जाएं तो पालि-प्राकृत का भी विकास तत्कालीन लोकभाषाओं से ही हुआ होगा.<br /><br />इस बहुप्रचलित कथन से मेरा मतैक्य नहीं है कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओँ की जननी है.<br />महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-52258773074426020222019-11-20T09:12:00.192+05:302019-11-20T09:12:00.192+05:30नमन ...नमन ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-44407136570445565712019-11-20T06:41:08.076+05:302019-11-20T06:41:08.076+05:30मेरा विचार है कि संस्कृत को श्रम संस्कृति के शब्दो...मेरा विचार है कि संस्कृत को श्रम संस्कृति के शब्दों को सीधे तौर पर अपनाने में दिक्कत रही है. प्राकृत और पाली के कई ऐसे स्थानीय शब्द हैं जो वास्तव में तत्सम हैं और उन्हें जिस रूप में संस्कृत में अपनाया गया है वो तद्भव शब्द हैं. इस बारे में भाषाविज्ञान की नई खोज बहुत कुछ कहती है. संस्कृत नहीं बल्कि प्राकृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-73158605816506704882019-11-19T17:51:06.981+05:302019-11-19T17:51:06.981+05:30आभार, आ.शास्त्री जी ।आभार, आ.शास्त्री जी ।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9207559446136856031.post-6460054909244728982019-11-19T11:25:54.326+05:302019-11-19T11:25:54.326+05:30आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-11-2019)...आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-11-2019) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "समय बड़ा बलवान" (चर्चा अंक- 3525) </a> पर भी होगी। <br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। <br /> --<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' <br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com