एक दिया तो जल जाने दे,
सूरज को कुछ सुस्ताने दे।
पलट रहा क्यूं आईने को,
जो सच है वो दिखलाने दे।
एक सिरा तो थामो तुम भी,
उलझा है जो सुलझाने दे।
चिंगारी रख ऐसी दिल में,
अंगारों को शरमाने दे।
कैद न कर पंछी पिंजरे में,
उसे मुक्ति का सुर गाने दे।
यादें, इतनी जल्दी न जा,
आंखों को तो भर जाने दे।
बादल हूं बरसूंगा, पहले
परवत से तो टकराने दे।
-महेन्द्र वर्मा