सम्मोहन

अगर मैं ये कहूँ
कि
धर्म से हटा दो
आडम्बर पूरी तरह
तो
क्या तुम मुझे
जीने नहीं दोगे
और
अगर मैं ये कहूँ
कि
मैं धर्म में
मिला सकता हूं
कुछ और सम्मोहनकारी आडम्बर
तो
क्या तुम मुझे
महामंडलाधिपति बना दोगे !


                                                   -महेन्द्र वर्मा

कृष्ण विवर

कुछ भी नहीं था
पर शून्य भी नहीं था
चीख रहे उद्गाता ।

जगती का रंगमंच
उर्जा का है प्रपंच,
अकुलाए-से लगते
आज महाभूत पंच,

दिक् ने ज्यों काल से
तोड़ लिया नाता।

न कोई तल होगा
न ही कोई शिखर,
अस्ति और नास्ति को
निगलेगा कृष्ण विवर,

तुम्ही जानते हो
न जानते विधाता।

                    
-महेन्द्र वर्मा

क्लोन

वह
अनादि है
अनंत है
उसे
न तो
उत्पन्न किया जा सकता है
और न ही नष्ट

उसका
नहीं कोई आकार
रूप नहीं, गुण नहीं
वह
पदार्थ भी नहीं
किंतु  विद्यमान है यत्र-तत्र-सर्वत्र

कण-कण में है वह
व्यक्त कर लेता है

स्वयं को अनेक रूपों में भी


कुछ विद्वान
इसे ऊर्जा कहते हैं
किंतु
मुझे तो यह
‘क्लोन’  लगता है

छांदोग्य उपनिषद
में वर्णित ब्रह्म का।


                                               -महेन्द्र वर्मा