शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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ममतामयी प्रकृति

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कभी छलकती रहती थीं , बूँदें अमृत की धरती पर, दहशत का जंगल उग आया , कैसे अपनी धरती पर । सभी मुसाफिर  इस सराय के ,  आते...
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तीन सौ धर्मों के तीन सौ ईश्वर

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प्रकृति और उसकी शक्तियाँ शाश्वत हैं । मनुष्य ने सर्वप्रथम प्राकृतिक शक्तियों को ही विभिन्न देवताओं के रूप में प्रतिष्ठित किया । मनुष...
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भूतविद्या, मनोरोग और अंधविश्वास

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पिछले दिनों भूतविद्या समाचार पत्रों की सुर्खियाँ बनी रही । कुछ ने इसे भूत-प्रेत से संबंधित बताया तो कुछ ने इसे मनोचिकित्सा से संबंधित ...
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खुला मस्तिष्क या बंद मस्तिष्क

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क्या आपको किसी ने कभी कहा है कि ‘ज़रा खुले दिमाग़ से सोचो’ या क्या यही बात आपने किसी से कभी कही है ?  इस बात से ऐसा लगता है कि सोचने वाल...
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छत्तीसगढ़ी में संस्कृत के शब्द

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छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए इस मौसम में ‘ओल’ महत्वपूर्ण हो जाता है । रबी फसल के लिए खेत की जुताई-बुआई के पूर्व किसान यह अवश्य देखता है...
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औपनिषदिक ब्रह्म और ऊर्जा

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उपनिषदों में ब्रह्म की अवधारणा एक दार्शनिक अवधारणा है, धार्मिक अवधारणा नहीं । वेदों के संहिता खंड में बहुत सी प्राकृतिक शक्तियों के लि...
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पांच सुरों का सौंदर्य

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ज्योति कलश छलके, हुए गुलाबी लाल सुनहरे रंग दल बादल के..... यह एक पुरानी फ़िल्म का गीत है । यह गीत आपको आज भी अच्छा लगता होगा...
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सप्ताह के दिनों का नामकरण - कब, कहां, कैसे ?

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समय की गणना के लिए सप्ताह एकमात्र ऐसी इकाई है जो किसी प्राकृतिक घटना पर आधारित नहीं है । समय की अन्य सभी इकाइयां जैसे, वर्ष, महीना, दि...
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महेन्‍द्र वर्मा
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