शाश्वत शिल्प
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प्राचीन संस्कृत साहित्य के उद्धारक
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भारत के प्राचीन धार्मिक और अन्य साहित्य का दूसरी सभ्यताओं की तुलना में विशाल भंडार है किंतु यह साहित्य दो सौ साल पहले तक आम भारतीय के लिए उ...
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हम भारत के लोग
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आज से पचास हज़ार वर्ष पूर्व जब न तो आज के समान जातियाँ थीं, न संगठित धर्मों का अस्तित्व था, न कोई देश था न कोई राज्य, तब कबीलाई समाज का अस्...
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अधिक मास - चांद्रवर्ष और सौरवर्ष में तालमेल
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कुँवार या आश्विन का महीना शुरू हो गया है। इसके समाप्त होने के बाद इस वर्ष कुँवार का महीना दुहराया जाएगा तब उसके बाद कार्तिक का महीना आएगा। द...
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जा जा रे अपने मंदिरवा-पं. जसराज
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पं. जसराज (28 जनवरी, 1930-17 अगस्त, 2020) संगीत मार्तण्ड पंडित जसराज ...
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भारत की संत परंपरा - तब और अब
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भारत सदा से संतों की भूमि रहा है । आज भी संत उपाधि धारण करने वाले अनेक हैं किंतु इनकी विशेषताएं अतीत के संतों से नितांत भिन्न परिलक्षित होती...
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हिन्दी साहित्य के संगीतमय गीत
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गीत-संगीत किसे अच्छा नहीं लगता ! यदि गीत किसी प्रख्यात साहित्यकार का हो जिसे संगीतबद्ध कर गाया गया हो तो ऐसी रचना सहसा ध्यान आकर्...
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शिशु ने नामकरण किया मां-बाबा का
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सभी जीवों के साथ-साथ मनुष्यों के जीवन के लिए हवा के बाद पानी दूसरा महत्वपूर्ण पदार्थ है । पानी के लिए दुनिया की विभिन्न भाषाओं में अ...
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वह जो जानता था अनंत को
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( श्रीनिवास रामानुजन् की सौवीं पुण्यतिथि पर विशेष) “ प्रतिभा और योग्यता प्रायः विषम परिथितियों में ही व...
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