शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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प्रकृति भली जग की जननी है

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           (किशोरों के लिए गीत )  प्रकृति भली, जग की जननी है  । सब प्राणी को देती जीवन  यह रचती नदिया-पर्वत-वन, भाँति -भाँति के अन्न-फूल-फल ...
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सूर्य से दीये तक - अग्नि की वैश्विक यात्रा

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  दीप कैसा हो कहीं हो,  सूर्य का अवतार है यह जल गया है दीप तो  अँधियार ढल कर ही रहेगा दीप के लिए अभिव्यक्त कवि नीरज की इन सरल-सहज पंक्तियों ...

सत्य हुआ असमर्थ

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                                जंगल तरसे पेड़ को, नदिया तरसे नीर, सूरज सहमा देख कर, धरती की यह पीर । मृत-सी है संवेदना, निर्ममता है शेष, मा...
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विदेशी साज पर देशी राग

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  भारतीय शास्त्रीय संगीत की दोनों पद्धतियों, हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत में एकल वाद्य-वादन का उतना ही महत्वपूर्ण स्थान है जितना एकल गायन क...
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हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत - परंपरा और प्रयोग

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  शास्त्रीय संगीत कई सदियों से भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है और आज भी है। सामगायन से प्रारंभ हुई यह परंपरा भारत की सांस्कृतिक एकता का ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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