बहुत सुंदर कविताएँ. वर्तमान की अदृष्य-सी क्षणिकता को पहली कविता कहती है तो दूसरी कविता 'काली किरणों की बारिश' का एक नया बिंब दे कर उदासी को परिभाषित करती है. बहुत ख़ूब महेंद्र जी.
बहुत सुंदर कविताएं हैं। इन छोटी कविताओं में तो अंतरिक्ष सा विस्तार है .. चिंतन की उर्वरा धरती से उपजी ये कविताएं सचमुच वाह कहने पर विवश करती हैं। बधाई...।
सुंदर क्षणिकाएं .....गहरी अभिव्यक्ति .....
ReplyDelete''बताओ भला
ReplyDeleteकहां है
वर्तमान !!''
- क्षितिज पर.
क्षणिकाओं में बिम्ब का अद्भुत प्रयोग!
ReplyDeleteकाली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद
sab kee apnee apnee nazar
ReplyDeletekisi ke man mein kaalee baarish mein bhee aanand
kisiko rone se hee fursat nahee
umdaa
बहुत सुंदर कविताएँ. वर्तमान की अदृष्य-सी क्षणिकता को पहली कविता कहती है तो दूसरी कविता 'काली किरणों की बारिश' का एक नया बिंब दे कर उदासी को परिभाषित करती है. बहुत ख़ूब महेंद्र जी.
ReplyDeleteबेहद अच्छी क्षणिकाएं
ReplyDeleteकाली किरणों की
ReplyDeleteबारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं…………बेहतरीन बिम्ब प्रयोग्।
बहुत सुंदर .. गहन
ReplyDeleteअद्भुत बिम्ब प्रयोग...
ReplyDeleteसुन्दर क्षनिकाएं..
सादर.
गहन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकएँ...
ReplyDeleteबेहतरीन बिम्ब प्रयोग्.......
ReplyDeleteVerma ji bahut hi sundar kshanikayen,,,,, sach hai Vartman ka abhas to ho hi nahi pata hai ...sadar abhar.
ReplyDeleteआनंद की बारिश है यहां तो.
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteएक क्षण में भूत और भविष्य की संधि पर वर्त्तमान की झलक... और काली किरणों की बारिश तो अद्भुत है!! बहुत सुन्दर वर्मा साहब!!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव!!
ReplyDeleteवाह ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!!!
बहुत सुंदर कविताएं हैं। इन छोटी कविताओं में तो अंतरिक्ष सा विस्तार है .. चिंतन की उर्वरा धरती से उपजी ये कविताएं सचमुच वाह कहने पर विवश करती हैं। बधाई...।
ReplyDeleteकाली किरणों की
ReplyDeleteबारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं
नवीनता का स्वाद मिलता है आपके ब्लॉग पर... सादर
सुन्दर भाव लिए क्षणिकाएं|
ReplyDeleteआशा
वाह
ReplyDeleteबहुत उम्दा।
चंद शब्दों में समाया समुंद्र।
gagar me sagar
ReplyDeleteसुंदर क्षणिकाएं
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteअद्भुत!
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकएँ गहन अभिव्यक्ति के साथ.
ReplyDelete1. शायद घटित होने के क्षण-भंगुर क्षण में ...?
ReplyDelete2. काली किरणों की बारिश में भीगने का भी अलग ही आनंद होता है.
दोनों ही क्षणिकायें अनूठी और गम्भीर....
1.
ReplyDeleteघटनाएं
भविष्य के अनंत आकाश से
एक-एक कर उतरती हैं
और
क्षण भर में घटित होकर
समा जाती हैं
अतीत के महापाताल में
बताओ भला
कहां है
वर्तमान !!
सुन्दर है क्षणिकाओं का संसार वर्तमान का पंख लगाकर व्यतीत हो जाना .
kya prastuti hai......
ReplyDelete-उदास हो
ReplyDelete-नहीं
बस यूं ही
काली किरणों की
बारिश में भीगने का
आनंद ले रहा हूं
विचार कणिकाओं के भाव सागर में एक के बाद एक डुबकी लगाते रहिये .
बहुत सुंदर रचना,भावपूर्ण अभिव्यक्ति,....
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
सब कुछ इतनी जल्दी अतीत बन खो जाता है की जीवन की क्षणभंगुरता भयावह लगने लगती है ।
ReplyDeleteशानदार क्षणिकाएँ.
ReplyDeleteएक और एक दो नहीं
एक और एक ग्यारह.
अनुपम प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार.
वर्तमान तो सचमुच वाही है जिसका जीवन पल मात्र ही है ...
ReplyDeleteदूसरी क्षणिका बहुत ही खूबसूरत है.. न्यूनतम शब्दों में बेहतरीन भाव
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