बनारस जिले की चंदौली तहसील के रामगढ़ गांव में अकबर सिंह और मनसा देवी के घर जिस बालक ने जन्म लिया वही प्रसिद्ध संत बाबा किनाराम हुए। 12 वर्ष की अवस्था में इन्होंने गृह त्याग कर अध्यात्म की राह पकड़ी। बलिया जिले के कारों गांव निवासी बाबा शिवराम इनके गुरु थे। काशी में इन्होंने केदार घाट के बाबा कालूराम अघोरी से दीक्षा प्राप्त की। अपने गुरु की स्मृति में इन्होंने 4 मठों का निर्माण कराया। इनकी जन्मस्थली रामगढ़ में बाबा किनाराम का आध्यात्मिक आश्रम है।
ये कवि भी थे। इनकी प्रधान रचना ‘विवेकसार‘ है। अन्य प्रकाशित रचनाएं ‘रामगीता‘, ‘गीतावली‘, ‘रामरसाल‘ आदि हैं। इनकी रचनाओं से इनके अवधूत मत का सहज ही अनुमान हो जाता है।
प्रस्तुत है बाबा किनाराम रचित एक पद-
कथें ज्ञान असनान जग्य व्रत, उर में कपट समानी।
प्रगट छांडि करि दूरि बतावत, सो कैसे पहचानी।
हाड़ चाम अरु मांस रक्त मल, मज्जा को अभिमानी।
ताहि खाय पंडित कहलावत, वह कैसे हम मानी।
पढ़े पुरान कुरान वेद मत, जीव दया नहिं जानी।
जीवनि भिन्न भाव करि मारत, पूजत भूत भवानी।
वह अद्ष्ट सूझ नहिं तनिकौ, मन में रहै रिसानी।
अंधहि अंधा डगर बतावत, बहिरहि बहिरा बानी।
राम किना सतगुरु सेवा बिनु, भूलि मरो अज्ञानी।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(1-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(1-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
संत बाबा किनाराम के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी और उनके सुन्दर पद प्रस्तुतिकरण हेतु धन्यवाद
ReplyDeleteइनके सम्बन्ध में एक घटना "बहती गंगा " नामक पुस्तक में पढ़ी थी जिसमें राजा चेत सिंह का भी जिक्र था शायद वही हैं.बनारस वाले.
ReplyDeleteबहुत उम्दा,बाबा जी की रचना साझा करने के लिए आभार ,,
ReplyDeleteRecent post: ओ प्यारी लली,
प्रभावशाली एवं चिंतनपरक
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह हैं पढ़े,मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत सार्थक प्रस्तुति .आभार . संस्कृति रक्षण में महिला सहभाग साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteसार्थक जानकारी हेतु आभार . . हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
ReplyDeleteBHARTIY NARI .
एक छोटी पहल -मासिक हिंदी पत्रिका की योजना
अनुपम, अद़भुद, अतुलनीय, अद्वितीय, निपुण, दक्ष, बढ़िया रचना
ReplyDeleteमहोदय जिस प्रकार आप हिन्दी का प्रचार प्रसार कर रहे हैं एक छोटी सी कोशिश मैं भी कर रहा हॅू क़पया सानिध्य प्रदान करें तथा
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संत बाबा किनाराम के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी ..आभार
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, प्रस्तुतिकरण तो वाकई बेजोड़ है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
नोट : आमतौर पर मैं अपने लेख पढ़ने के लिए आग्रह नहीं करता हूं, लेकिन आज इसलिए कर रहा हूं, ये बात आपको जाननी चाहिए। मेरे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए । धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया !
लिंक: http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/blog-post.html?showComment=1370150129478#c4868065043474768765
संत बाबा किनाराम के बारे में बहुत बढ़िया जानकारी और बाबा जी की रचना पद हम सभी को पढवाने के लिये शुक्रिया.
ReplyDeleteहाड़ चाम अरु मांस रक्त मल, मज्जा को अभिमानी।
ReplyDeleteताहि खाय पंडित कहलावत, वह कैसे हम मानी..
बहुत ही धन्यवाद ... बाबा जी को प्रणाम ... अलग ही मज़ा है इस काव्य धारा में ...
नई जानकारी वाली पोस्ट ....आभार
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