लगता है सत्य कभी
अथवा आभास,
तिनके-से जीवन पर
मन भर विश्वास।
स्वप्नों की हरियाली
जीवन पाथेय बनी,
जग जगमग कर देती
आशा की एक कनी।
डाल-डाल उम्र हुई
पात-पात श्वास।
जड़ता खिलखिल करती
बैद्धिकता आह !
अमरत्व मरणशील
कहानी अथाह।
चिदाकाश करता है,
मानो उपहास।
-महेन्द्र वर्मा
एक दार्शनिक कविता..
ReplyDeleteतिनके-से जीवन पर
ReplyDeleteमन भर विश्वास।
गहन ....बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...!!
स्वप्नों की हरियाली
ReplyDeleteजीवन पाथेय बनी,
जग जगमग कर देती
आशा की एक कनी।
बहुत सुंदर दार्शनिकhअभिव्यक्ति ..
गहन भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteसचमुच जीवन नवगीत
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आपका-
जड़ता खिलखिल करती
ReplyDeleteबैद्धिकता आह !
अमरत्व मरणशील
कहानी अथाह।
चिदाकाश करता है,
मानो उपहास।
मंथन से निकला मोती...............
जीवन मंथन से उपजी रचना ... बेमिसाल ...
ReplyDeleteदर्शन की बारीक रेखा पर चलती कविता. बहुत खूब.
ReplyDeleteजीवन दर्शन...
ReplyDeleteस्वप्नों की हरियाली
जीवन पाथेय बनी,
जग जगमग कर देती
आशा की एक कनी।
बहुत भावपूर्ण, बधाई.
स्वप्नों की हरियाली
ReplyDeleteजीवन पाथेय बनी,
जग जगमग कर देती
आशा की एक कनी।
डाल-डाल उम्र हुई
पात-पात श्वास।
बहुत सुन्दर नवगीत आदरणीय