शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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सूर्य से दीये तक - अग्नि की वैश्विक यात्रा
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दीप कैसा हो कहीं हो, सूर्य का अवतार है यह जल गया है दीप तो अँधियार ढल कर ही रहेगा दीप के लिए अभिव्यक्त कवि नीरज की इन सरल-सहज पंक्तियों ...
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