शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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मैं हुआ हैरान

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घर कभी घर थे मगर अब ईंट पत्थर हो गए, रेशमी अहसास सारे आज खद्दर हो गए। वक़्त की रफ़्तार पहले ना रही इतनी विकट, साल के सारे महीने ज्यूं दिसंब...
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महेन्‍द्र वर्मा
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