शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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फूल हों ख़ुशबू रहे
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दर रहे या ना रहे छाजन रहे, फूल हों ख़ुशबू रहे आँगन रहे । फ़िक्र ग़म की क्यों, ख़ुशी से यूँ अगर, आँसुओं से भीगता दामन रहे । झाँक...
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