शाश्वत शिल्प
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मौसम
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मौसम
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मौसम की मक्कारी
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हरियाली ने कहा देख लो मेरी यारी कुछ दिन और, सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और । बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर, दिख...
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जाने किसकी नज़र लग गई
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कभी छलकती रहती थीं बूँदें अमृत की धरती पर, दहशत का जंगल उग आया कैसे अपनी धरती पर । सभी मुसाफिर इस सराय के आते-जाते रहते हैं, आस नहीं...
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