शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

▼
Showing posts with label मौसम. Show all posts
Showing posts with label मौसम. Show all posts

मौसम की मक्कारी

›
हरियाली ने कहा देख लो  मेरी यारी कुछ दिन और, सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और । बाँस थामकर  नाच रहा था  छोटा बच्चा रस्सी पर, दिख...
14 comments:

जाने किसकी नज़र लग गई

›
कभी छलकती रहती थीं  बूँदें अमृत की धरती पर, दहशत का जंगल उग आया कैसे अपनी धरती पर । सभी मुसाफिर  इस सराय के  आते-जाते रहते हैं, आस नहीं...
9 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
महेन्‍द्र वर्मा
View my complete profile
Powered by Blogger.