शाश्वत शिल्प
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रहनुमा
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ऊबते देखे गए
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भीड़ में अस्तित्व अपना खोजते देखे गए, मौन थे जो आज तक वे चीखते देखे गए। आधुनिकता के नशे में रात दिन जो चूर थे, ऊब कर फिर ज़िंदगी से भा...
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