शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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ले जा गठरी बाँध

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वक़्त घूम कर चला गया है मेरे चारों ओर, बस उन क़दमों का नक़्शा है मेरे चारों ओर । सदियों का कोलाहल मन में गूँज रहा लेकिन, कितना सन्नाटा पसरा...
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महेन्‍द्र वर्मा
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