शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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सूर्य से दीये तक - अग्नि की वैश्विक यात्रा

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  दीप कैसा हो कहीं हो,  सूर्य का अवतार है यह जल गया है दीप तो  अँधियार ढल कर ही रहेगा दीप के लिए अभिव्यक्त कवि नीरज की इन सरल-सहज पंक्तियों ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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