दो बाल गीत

बाल दिवस विशेष 


1.
गुड्डा बहुत सयाना जी,
सीखा हुकुम चलाना जी।


पापा से बातें है करनी,
ऑफिस फोन लगाना जी।


टामी क्यों भौं-भौं करता है,
उसको दूर भगाना जी।


आंसू क्यों टप-टप टपकाते, 
छोड़ो रोना-धोना जी।


अच्छे गाते हो तुम चिंटू,
एक सुना दो गाना जी।


अब सोने दो रात हो गई,
ऊधम नहीं मचाना जी।


जाना है स्कूल सबेरे,
जल्दी मुझे जगाना जी।


2.
गोल  है चंदा सूरज गोल,
दीदी, क्या तारे भी गोल।


चूहा चूं-चूं चिड़िया चीं,
चींटी की क्या बोली बोल।


कोयल इतनी काली पर क्यों, 
कानों में रस देती घोल।


सात समंदर भरे पड़े पर,
पानी क्यों इतना अनमोल।


मां से भी पूछा था मैंने,
पर वे करतीं टालमटोल।


-महेन्द्र वर्मा

22 comments:

  1. दोनों बाल कविताएँ अच्छी लगी.........आभार

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  2. दोनों कविताएँ अच्छी लगी

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  3. बहुत सुंदर और प्यारे बाल गीत ...... धन्यवाद

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  4. kawita badhiya hai dear jaari rakho

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  5. बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ! दोनों कविताएँ अच्छी है.

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  6. दोनों कविताएँ बहुत सुन्दर है ...
    बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  7. आप सभी के प्रति आभार।

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  8. इन कविताओं के माध्यम से अच्छा सन्देश दिया है आपने .बच्चों को यह भी बता देते कि,समुद्र का पानी खरा होता है और पीने लायक नहीं है इस लिए जो मिल रहा है वह काफी अनमोल है और उसे किफ़ायत से इस्तेमाल करें.

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  9. बाऊ जी,
    नमस्ते!
    अति सुन्दर!
    आशीष
    ---
    पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!

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  10. .

    महेंद्र जी,

    बाल दिवस पर आपकी ये अनुपम रचना बहुत अच्छी लगी--आभार।

    .

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  11. आशीष् जी,गीत पसंद करने के लिए आभार।
    आपकी टिप्पणी के अंत में लिखाहै- पहला खुमार, फिर उतरा बुखार- इस का मतलब समझ में नहीं आया। कहीं ये आप की नई पोस्ट का टाइटल तो नहीं , जाता हूं आपके ब्लॉग पर...धन्यवाद।

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  12. दिव्या जी, गीत की सराहना करने के लिए आभार।

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  13. दोनों कविताएँ बहुत मासूम ... धन्यवाद महेंद्र जी ...

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  14. चूहा चूं चिड़िया चीं चीं
    चींटी क्या बोली बोल।
    वर्मा जी लगता है बाल कविता आगे आपका ज़ानर होने वाला है।
    दोनो ही कवितायें बहुत ही रसदार हैं और बाल-मन को ज़रुर ही प्रफ़ुल्लित करेंगी। दिल के चारों कमरों और मन के लाखों तन्तुओं की तरफ़ से आपको बधाई।

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  15. दोनो बाल गीत बहुत अच्छे लगे |बधाई
    आशा

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  16. अरे क्या हुआ भाई साहिब आप तो बचपने पर उतर आये..

    बचपन याद दिलाने के लिये आभार

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  17. बाल दिवस पर बहुत ही अच्छी प्रस्तुति....दोनों कवितायेँ बहुत ही प्यारी है.

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  18. महेंद्र जी, इन लुप्तप्राय शिशु गीत के माध्यमसे आपने बचपन वापस लौटा दिया...

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  19. बहुत सुंदर बाल-गीत. बहुत देर के बाद इतने बढ़िया बाल-गीत पढ़े. आभार

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  20. दोनो बाल रचना बहुत ही अच्छी लगी। बधाई।

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  21. महेन्द्र जी, फिर बचपन वापस आया है, या ह्रदय में छुपे शिशु ने किलकारी भरी है। भाई, रचना तो यही कहती है। बधाई स्वीकारें।

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