आप भी






‘ग़र अकेले ऊब जाएं आप भी,
आईने से दिल लगाएं आप भी।


देखिए शम्आ की जानिब इक नज़र,
ज़िदगी को यूं लुटाएं आप भी।


हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
आंख से परदा हटाएं आप भी।


जान लोगे लोग जीते किस तरह हैं,
इक मुखौटा तो लगाएं आप भी।


भूल जाएं रंज अब ऐसा करें,
साथ मेरे गुनगुनाएं आप भी।


सब इसे कहते, ख़ुदा की राह है,
आशिक़ी को आज़माएं आप भी।


मैं कबीरा की लुकाठी ले चला हूं,
हो सके तो साथ आएं आप भी।

                                                       -महेन्द्र वर्मा

35 comments:

  1. Very impressive.. specially these lines
    हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
    आंख से परदा हटाएं आप भी।

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  2. ‘ग़र अकेले ऊब जाएं आप भी,
    आईने से दिल लगाएं आप भी।

    बहुत खूब .और मुखौटे वाला शेर भी बढ़िया है ...

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  3. सब इसे कहते, ख़ुदा की राह है,
    आशिक़ी को आज़माएं आप भी।
    अच्छी सलाह दे रहें आप , हर शेर जोरदार एक अर्थ छिपाए हुए , बधाई

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  4. काश लोग उसी सन्दर्भ में लें जिसमें आपने एक गूढ़ सन्देश को सरल ढंग से कहा है,तो उनका भला हो जाये.

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  5. har sher gajab dhha raha hai .bhavpurn abhivyakti .badhai .

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  6. महेंद्र जी!
    लगता है मुझे आप अपना शागिर्द बनाकर ही दम लेंगे...
    आपके हम हो गए तो हैं मुरीद
    हाथ मेरे सर फिराएं आप भी.

    .
    इस शेर में आखिरी "हैं" निकाल दें, बहर से बाहर है. शेर इस तरह भी मुकम्मल है:
    जान लोगे लोग जीते किस तरह,
    इक मुखौटा तो लगाएं आप भी।
    .
    महेंद्र जी, कमाल के शेर कहे हैं आपने..

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  7. सब इसे कहते, ख़ुदा की राह है,
    आशिक़ी को आज़माएं आप भी।
    आपने तो दिल जीत लिया। और दिमाग को भी ...
    मैं कबीरा की लुकाठी ले चला हूं,
    हो सके तो साथ आएं आप भी।

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  8. हर अंधेरे में नही होता अंधेरा,
    आंखों से परदा हटायें आप भी।

    बेहतरीन मिसरा । मुबारक

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  9. बेहद उम्दा। बधाई स्वीकार करें।

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  10. जान लोगे लोग जीते किस तरह हैं,
    इक मुखौटा तो लगाएं आप भी।

    मुखौटा लगाकर छुपे है सब . सुन्दर शेरो से सजी ग़ज़ल .

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  11. har nazm bahoot hi sunder..........
    .
    मैं कबीरा की लुकाठी ले चला हूं,
    हो सके तो साथ आएं आप भी।
    nimantran swikar ahi........bahoot sunder prastuti.

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  12. आपकी ग़ज़ल की तारीफ़ के लिए लफ़्ज़ चुक गए हैं. केवल वाह..वाह.. ही आ रही है. भई वाह..

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  13. जान लोगे लोग जीते किस तरह हैं,
    इक मुखौटा तो लगाएं आप भी।

    बहुत ही सुन्दर अलफ़ाज़ से सजी ग़ज़ल है !

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  14. .

    हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
    आंख से परदा हटाएं आप भी।

    महेंद्र जी ,
    क्या खूब चुन-चुन कर जीवन-दर्शन को पिरोया है ग़ज़ल में।
    आपका आभार।

    .

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  15. हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
    आंख से परदा हटाएं आप भी।
    ... bahut khoob ... sabhee sher ek se badhakar ek ... prasanshaneey gajal !!!

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  16. महेंद्र जी,
    क्या बात कही है -
    हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
    आंख से परदा हटाएं आप भी।
    पूरी ग़ज़ल अच्छी लगी !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  17. देखिए शम्आ की जानिब इक नज़र,
    ज़िदगी को यूं लुटाएं आप भी।
    वाह क्या बात है महेंद्र जी ... जिंदगी लिटाने वाली बात आपने खूब कही ... शमा पर तो सब कुछ कुर्बान है .....
    हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
    आंख से परदा हटाएं आप भी..
    उफ़ .. क्या शेर कहा है ... जावन का सत्य है ये .. इंसान बस आँखें मेच कर बैठा अहता है .. सामना नहीं करता और सत्य नहीं जान पाटा ...

    कमाल की ग़ज़ल है ...

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  18. 'main kabeera ki lukathi le chala hoon
    ho sake to saath aayen aap bhi,
    lajawab!

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  19. रूमानियत को फलसफों में ढाल कर,
    शायरी बहुत खूब बनाए आप भी ...

    जारी रखिये ...

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  20. वाह ! बहुत खूब !

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  21. आपकी यह सशक्त और सुन्दर रचना
    आज के चर्चा मंच पर सुशोभित की गई है!
    http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/375.html

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  22. लुकाठी हाथों में दिख जाती है आजकल, लेकिन सब अपने अपने रस्‍ते पर हैं.

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  23. क्या कहूँ इस गज़ल के बारे मे…………सभी शेर कमाल हैं……………बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

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  24. महेन्‍द्र जी, हमेशा की तरह शानदार है आपकी यह भी गजल। हार्दिक शुभकामनाऍं एवं बधाई।

    ---------
    आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
    खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

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  25. मैं कबीरा की लुकाठी ले चला हूं,
    हो सके तो साथ आएं आप भी
    वाह!
    बहुत सुन्दर !

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  26. देखिए शम्आ की जानिब इक नज़र,
    ज़िदगी को यूं लुटाएं आप भी।

    वाह...सुभान अल्लाह...छोटी बहर में कमाल की गज़ल...दाद कबूल करें.

    नीरज

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  27. मैं कबीरा की लुकाठी ले चला हूं,
    हो सके तो साथ आएं आप भी।

    सभी शेर अच्छे परन्तु ये बेहतरीन .

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  28. भूल जाएं रंज अब ऐसा करें,
    साथ मेरे गुनगुनाएं आप भी . अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

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  29. आदरणीय महेन्द्र वर्मा जी
    नमस्कार !
    .........यह गजल भी कमाल की हैं.

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  30. Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

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  31. ग़र अकेले ऊब जाएं आप भी,
    आईने से दिल लगाएं आप भी।
    xxxxxxxxxxxxxxxxxx
    हर शेर लाजबाब है ...शुक्रिया

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  32. हर अंधेरे में नहीं होता अंधेरा,
    आंख से परदा हटाएं आप भी।


    ओह....क्या बात कही है आपने...

    वैसे बड़ी समस्या है..किस शेर को सिरमौर कहें और किसे कुछ कम...एक भी ऐसा नहीं...

    लाजवाब लिखा है आपने....

    आनंद आ गया पढ़कर...

    आभार आपका पढने का सुअवसर देने के लिए.....

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  33. महेन्‍द्र जी छोटी छोटी बहरों में आपने काफी बडी बडी बातें कर दीं। बधाई।

    ---------
    मोबाइल चार्ज करने की लाजवाब ट्रिक्‍स।

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  34. वहा महेंद्र ही बहुत सुंदर लिखा है आपने. पढ़वाने के लिए आभार आपका.

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