फागुनी दोहे



देहरी पर आहट हुई, फागुन पूछे कौन।
मैं बसंत तेरा सखा, तू क्यों अब तक मौन।।


निरखत बासंती छटा, फागुन हुआ निहाल।
इतराता सा वह चला, लेकर रंग गुलाल।।


कलियों के संकोच से, फागुन हुआ अधीर।
वन-उपवन के भाल पर, मलता गया अबीर।।


टेसू पर उसने किया, बंकिम दृष्टि निपात।
लाल लाज से हो गया, वसन हीन था गात।।


अमराई की छांव में, फागुन छेड़े गीत।
बेचारे बौरा गए, गात हो गए पीत।।


फागुन और बसंत मिल, करे हास-परिहास।
उनको हंसता देखकर, पतझर हुआ उदास।।


पूनम फागुन से मिली, बोली नेह लुटाय।
और माह फीके लगे, तेरा रंग सुहाय।।


आतंकी फागुन हुआ, मौसम था मुस्तैद।
आनन-फानन दे दिया, एक वर्ष की क़ैद।।

आप सब को होली की शुभकामनाएं

                                                                              -महेन्द्र वर्मा

40 comments:

  1. फागुन और बसंत मिल, करे हास-परिहास।
    उनको हंसता देखकर, पतझर हुआ उदास।।

    फागुनी रंग में रंगे मौसम की बसंती छटा बिखेरते सुंदर दोहे...... शुभकामनायें आपको भी....

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  2. निरखत बासंती छटा, फागुन हुआ निहाल।
    इतराता सा वह चला, लेकर रंग गुलाल।।


    कलियों के संकोच से, फागुन हुआ अधीर।
    वन-उपवन के भाल पर, मलता गया अबीर।।

    बड़ी सुन्दरता से मौसम का वर्णन किया है .

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  3. फागुन के होली गीत के साथ आपने जो विषद विवेचन किया वह सुन्दर है.आप सब को भी होली की हार्दिक मंगलकामनाएं.

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  4. फागुनी रंग में रंगे मौसम की बसंती छटा बिखेरते सुंदर दोहे| धन्यवाद|

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  5. कलियों के संकोच से, फागुन हुआ अधीर।
    वन-उपवन के भाल पर, मलता गया अबीर।।

    हरेक दोहा लाज़वाब...फागुन के मौसम का बहुत सुन्दर वर्णन..होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (14-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. आंखों के आगे फ़ागुनी रंग बिखेर दिये हैं आपने। सभी दोहे एकदम मौसम के मिजाज से मेल खाते, ये वाला सबसे ज्यादा अपीलिंग लगा -
    "फागुन और बसंत मिल, करे हास-परिहास।
    उनको हंसता देखकर, पतझर हुआ उदास।।"

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  8. fagun ke rangoin, ke hi trah hain aapke bhaw.....

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  9. bahut badhiya dohe ..holi ki aapko bhi badhai ho..

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  10. फागुन के बहुत सुंदर रंग दिखा रहे हैं रचना में ... आभार :)

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  11. आतंकी फ़ागुन हुआ, मौसम हुआ मुस्तैद,
    आनन फ़ानन दे दिया एक वर्ष की क़ैद्।

    सभी उम्दा दोहे , मुझे इन सबमें अन्तिम
    वाला सबसे अच्छा लगा। मुबारक

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  12. vaah....sachmauch in dohon ko padhkar bazaa aanand aayaa.....!!

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  13. सराबोर कर गए एक एक दोहे, फगुनहट की बयार में!! ऐसारंग बिखेरा है आपने कि मन तक भीज गया!!

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  14. फागुन की मस्ती वाली सुंदर रचना ,बधाई

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  15. सुन्दर फागुनी दोहे
    होली की शुभकामनाएँ

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  16. बहुत सुन्दर दोहे ...होली आ ही गयी

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  17. पूनम फागुन से मिली, बोली नेह लुटाय।
    और माह फीके लगे, तेरा रंग सुहाय...

    Awesome !

    फागुन कि सुन्दर छटा बिखेरती बेहतरीन रचना ।

    होली कि बधाई।

    .

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  18. फागुन और बसंत मिल, करे हास-परिहास।
    उनको हंसता देखकर, पतझर हुआ उदास।।


    पूनम फागुन से मिली, बोली नेह लुटाय।
    और माह फीके लगे, तेरा रंग सुहाय।।

    होली और वसंत की सुन्दर छटा इन दोनों दोहों में तो बस देखते ही बनती है.
    सारे दोहे हर प्रकार से बेहतरीन.

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  19. कलियों के संकोच से, फागुन हुआ अधीर।
    वन-उपवन के भाल पर, मलता गया अबीर ...

    बसंत और होली की मनोरम छटा को बखूबी उतारा है इन दोहों में ... मज़ा आ गया ...

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  20. आतंकी फागुन हुआ, मौसम था मुस्तैद।
    आनन-फानन दे दिया, एक वर्ष की क़ैद।।
    कलियों के संकोच से, फागुन हुआ अधीर।
    वन-उपवन के भाल पर, मलता गया अबीर .
    ati sundar dil khush ho gaya .

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  21. क्या बात है महेंद्र जी .....
    इक इक दोहा फाग के रंग में डूबा हुआ ....
    हम तो अभी से गुलाल से हो लिए ....

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  22. बहुत सुन्दर दोहावली.
    होली की अग्रिम शुभकामनाएँ...

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  23. आद. महेंद्र वर्मा जी,
    पहले दोहे में ही आपने दिल जीत लिया !

    देहरी पर आहट हुई, फागुन पूछे कौन।
    मैं बसंत तेरा सखा, तू क्यों अब तक मौन।।

    और इस दोहे का तो जवाब नहीं ,

    आतंकी फागुन हुआ, मौसम था मुस्तैद।
    आनन-फानन दे दिया, एक वर्ष की क़ैद।।

    फागुनी रंग में डुबोने का आपका अंदाज़ बहुत ही अच्छा है !
    अनाकनेक शुभकामनाएँ और आभार !

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  24. 'पूनम फागुन से मिली ,बोली नेह लुटाय |
    और माह फीके लगें , तेरा रंग सुहाय |

    आद. महेंद्र जी ,
    सभी दोहे फागुन के रंग में मस्त-मस्त ...बहुत प्यारे लगे |
    आनंद आ गया पढ़कर |

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  25. वाह...अति मनमोहक...मुग्धकारी ...रसभरी बासंती रचना...

    मन आह्लादित हो गया पाठ कर...

    जो बिम्ब आपने काढ़े हैं न कि बस....

    बहुत बहुत आभार इस अप्रतिम रचना को पढवाने के लिए...

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  26. आदरणीय भाई महेंद्र जी आपके दोहे बहुत सुंदर हैं लाजवाब |होली की इन्द्रधनुषी शुभकामनाएं |

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  27. आतंकी फागुन हुआ, मौसम था मुस्तैद।
    आनन-फानन दे दिया, एक वर्ष की क़ैद।।
    बहुत सुन्दर ......

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  28. वाह वाह , बसंत और फाल्गुन सर पर चढ़ कर बोल रहे है , मज़ा आ गया . अद्भुत .

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  29. फागुन और बसंत मिल, करे हास-परिहास।
    उनको हंसता देखकर, पतझर हुआ उदास।।
    वाह सभी दोहे एक से बढ कर एक। बधाई आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  30. रंगो को प्रकृति के साथ मिला कर आपने एक सरस रचना दी है.केवल वाह से काम नहीं चलेगा. वाह..वाह..वाह..

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  31. बहुत सुंदर. होली की ढेरों-ढेर शुभकामनाएं.

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  32. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
    आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

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  33. अरे भाई ! अब क्या कहें ,
    मस्त मस्त कविता की आपने,ऐसी पिलाई भंग,
    जी करता मलता रहूँ यहीं पर, अबीर ,गुलाल और रंग.
    होली पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ .

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  34. Wish you a wonderful , beautiful and colourful Holi.

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  35. होली की हार्दिक शुभकामनाएं
    manish jaiswal
    bilaspur
    chhattisgarh

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  36. .आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें

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  37. रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.

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  38. नेह और अपनेपन के
    इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
    उमंग और उल्लास का गुलाल
    हमारे जीवनों मे उंडेल दे.

    आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर
    डोरोथी.

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  39. होली की हार्दिक शुभकामनाएँ..

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  40. Manmohak manbhavan rachana...badhai

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