दोहे


दुनिया अद्भुत ग्रंथ है, पढ़िये जीवन माहिं,
एक पृष्ठ भर बांचते, जो घर छोड़त नाहिं।


दुर्जन साथ न कीजिए, यद्यपि विद्यावान,
सर्प भले ही मणि रखे, विषधर ही पहचान।


पूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्ति में, लगते वर्ष अनेक,
पर कलंक की क्या कहें, लगता है पल एक।


प्रसन्नता को जानिए, जैसे चंदन छाप,
दूसर माथ लगाइए, उंगली महके आप।


पुष्पगंध विसरण करे, चले पवन जिस छोर,
किंतु कीर्ति गुणवान की, फैले चारों ओर।


प्रेम भाव को मानिए, सर्वश्रेष्ठ वरदान,
जीवन सुरभित हो उठे, गूंजे सुखकर गान।


व्यथा सिखाती है हमें, सीख उसे पहचान,
ग्रंथों में भी न मिले, ऐसा अनुपम ज्ञान।

                                                                    -महेन्द्र वर्मा

45 comments:

  1. अच्छे लगे दोहे।
    सातों दोहे व निन्यानवे शब्द सब के सब

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  2. नीतिपरक,जीवनोपयोगी एवं प्रेरक दोहे ..........

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  3. वर्मा साहब!

    आज चरण स्पर्श की अनुमति दें!!
    ऐसे दोहे बाँच के, जीवन हुआ सवर्थ,

    साधारण से शब्द में गूढ अनोखे अर्थ!

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  4. पूर्ण प्रतिष्ठा प्राप्ति में, लगते वर्ष अनेक,
    पर कलंक की क्या कहें, लगता है पल एक।
    bahut sahi kaha hai aapne .aabhar.

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  5. हर दोहा सही सन्देश और सीख देता हुआ ...

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  6. Ek se badhkar ek dohe.bahut achchha laga.

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  7. दुर्जन साथ न कीजिए, यद्यपि विद्यावान,
    सर्प भले ही मणि रखे, विषधर ही पहचान।

    bahut sateek v sach ko udghatit karti rachna .aabhar

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  8. दुर्जन साथ न कीजिए, यद्यपि विद्यावान,
    सर्प भले ही मणि रखे, विषधर ही पहचान...

    जावन का सार है इन दोहों में ... बहुत ही लाजवाब ...

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  9. एक से बढ कर एक दोहे,
    " सर्प भले ही मणि रखे , विषधर ही पहचान्"
    सबसे ख़ास लगा।

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  10. प्रसन्नता को जानिए, जैसे चंदन छाप,
    दूसर माथ लगाइए, उंगली महके आप।

    यह बहुत सुंदर लगा.

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  11. वाह महेंद्र जी आपकी एक और विधा से परिचित हुआ , अतुलनीय दोहे मर्म को भेदते आर-आर चले जाते है और गहरे घाव कर जाते है , अभिवादन सहित बधाई

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  12. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (27-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  13. एक से एक दोहे।
    बहुत बार कह चुका हूँ ये बात, सहज और सरल भाषा में आप बहुत खूबसूरती से प्रेरणा दे देते हैं।
    बहुत पसंद आये दोहे, वर्मा साहब आपका आभार।

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  14. कबीर के दोहों से अर्थवान...

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  15. साधारण से शब्द में गूढ अनोखे अर्थ!

    अभिवादन सहित बधाई

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  16. बढि़या दोहे, सुबोध, मन में उतर जाने वाले.

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  17. वाकई बेहतरीन ...बार बार पढने लायक ! !
    शुभकामनायें आपको !

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  18. सात्विक,शुद्ध विचार हैं जिसके,वही है संत.
    वर्मा जी का हर दोहा , अपने आप में ग्रन्थ.

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  19. दुर्जन साथ न कीजिए ,यद्यपि विद्या वान,
    सर्प भले ही मणि रखे ,विषधर ही पहचान ।
    महेंद्र वर्मा जी "संत परम्परा "को पुनर्जीवित लार रहें हैं आप इन नीतिपरक सौद्देश्य दोहों से ।
    बद अच्छा बदनाम बुरा ,
    बिन पैसे इंसान बुरा ,
    काम सभी का एक ही है ,
    पर कठ्मोज़ी का नाम बुरा .

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  20. चमत्कृत करने वाले दोहे.
    सभी दोहे एक से बढ़कर एक.
    वाह.

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  21. आजकल ऐसे दोहों का अकाल सा पड़ गया है,प्रेरणादायक ,उपदेशात्मक प्रयास !

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  22. व्यथा सिखाती है हमें, सीख उसे पहचान,
    ग्रंथों में भी न मिले, ऐसा अनुपम ज्ञान।wah bhai bahut hi badiyaa dohe likhe aapne.badhaai sweekaren.



    please visit my blog.thanks.

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  23. गूढ़ अर्थ लिए ज्ञानवर्धक दोहे - धन्यवाद् वर्मा जी

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  24. सारे दोहे बहुत सुन्दर...बधाई

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  25. व्यथा सिखाती है हमें, सीख उसे पहचान,
    ग्रंथों में भी न मिले, ऐसा अनुपम ज्ञान।

    ...गहन अर्थ समेटे और सार्थक सन्देश देते बहुत सुन्दर दोहे..

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  26. हर दोहा सही सन्देश और सीख देता हुआ| धन्यवाद्|

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  27. प्रसन्नता को जानिए, जैसे चंदन छाप,
    दूसर माथ लगाइए, उंगली महके आप।

    अद्भुत...वाह...कमाल के दोहें हैं सभी के सभी...बधाई स्वीकारें महेंद्र जी.

    नीरज

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  28. अच्छे लगे सुंदर दोहे |गहन अर्थ समेटे हैं | बधाई
    आशा

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  29. दुर्जन साथ न कीजिए, यद्यपि विद्यावान,
    सर्प भले ही मणि रखे, विषधर ही पहचान।

    sahee........

    bahut sarthak hain sabhi dohe.....

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  30. सारे दोहे एक से बढ़कर एक है। शानदार ।

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  31. प्रसन्नता को जानिए, जैसे चंदन छाप,
    दूसर माथ लगाइए, उंगली महके आप।

    सुंदर ...बहुत सुंदर

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  32. अत्यन्त प्रेरक व सार्थक दोहे ।

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  33. आपकी सन्देश देती हुई रचनाये पढ़कर मन अन्दर से प्रफुल्लित हो गया. साथ साथ ज्ञानवर्धन भी हुआ.

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  34. सुंदर और सार्थक दोहों के लिए सहृदय बधाई स्वीकार करें महेंद्र भाई| 'प्रसन्नता' और 'गुणवान' वाले दोहे तो जैसे खुद माँ शारदे आप की झोली में डाल गई हैं| जय हो| इन्हें बड़े ही जतन से सँभालियेगा और ज़्यादा से ज़्यादा शुभचिंतकों तक पहुँचा कर उन्हें अनुग्रहित कीजिएगा|

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  35. महेन्‍द्र जी,

    आरजू चाँद सी निखर, जिन्‍दगी रौशनी से भर जाए,
    बारिशें हो वहाँ वे खुशियों की, जिस तरफ आपकी नजर जाए।
    जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    ------
    ओझा उवाच: यानी जिंदगी की बात...।
    नाइट शिफ्ट की कीमत..

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  36. सुँदर और रुचिकर नीति के दोहे . आभार

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  37. व्यथा सिखाती है हमें ,सीख उसे पहचान ,
    ग्रंथों में भी न मिले ऐसा अनुपम ज्ञान ।
    घूमते हुए आये थे कुछ और नया मिलेगा -
    पता चला नया एक दिन पुराना सौ दिन .

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  38. प्रसन्नता को जानिए, जैसे चंदन छाप,
    दूसर माथ लगाइए, उंगली महके आप।
    बहुत सुन्दर दोहे..

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  39. आदरणीय भाई जी महेन्द्र जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    बहुत सुंदर और प्रेरक दोहों के लिए बधाई और आभार !
    नीरज जी और नवीन जी जैसे पारखी विद्वान जिन दोहों को अधिक पसंद करके गए हैं उनका ज़ादू मुझे भी लुभा रहा है । बहुत बहुत श्रेष्ठ और शालीन लेखन के लिए पुनः बधाई !

    … और हां , कल आपका जन्मदिन भी तो था … एक बार पुनः जन्मदिन की बधाई और मंगलकामनाएं मेरे इस दोहे के साथ -
    बढ़े प्रतिष्ठा मान धन , वैभव यश सम्मान !
    जन्मदिवस शुभकामना ! हे गुणवंत सुजान !!


    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णका

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  40. ek se badkar ek doha......
    Aabhar

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