नवगीत

अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।


प्रात स्नान कर दिनकर निकला,
छुपा क्षणिक आनन को दिखला,

संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।


दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,


जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।

                                       -महेंद्र वर्मा

40 comments:

  1. मौसम के मिज़ाज़ों को पिरोए सुंदर रचना. इस मौसम में भली प्रकार से संप्रेषित हुई है.

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  2. बढि़या अभिव्‍यक्ति, (बेहतर फोटो).

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  3. मौसम के अनुरूप बेहतरीन नवगीत के लिये वर्मा जी को बधाई।

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  4. जीवन सदाबहार ही रहना चाहिए

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  5. दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
    इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,

    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ||
    बहुत बधाई ||

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  6. जीवन की हरियाली बन कर
    हरा-हरा तृण महके।
    अम्बर के नैना भर आए
    नीर झरे रह-रह के।
    बहुत सुंदर नवगीत ....

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  7. वर्षा रानी का बड़ा ही मनमोहक चित्रण .मानवीकरण प्रकृति का .सुन्दर बिम्ब विधान .

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  8. वर्षागमन का मनोहारी सन्देश...

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  9. बहुत सुन्दर नवगीत ...आज तो दिल्ली में बारिश भी हो रही है ..

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  10. कुछ नयापन सा है इस निर्मल रचना में .... ! हार्दिक शुभकामनायें !!

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  11. प्रकृति और दर्शन एक साथ इस नवगीत में!! वर्मा साहब,आपके आनन के भी नूतन दर्शन हुए!!

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  12. ऐसी रचना को पढ़कर मन तृप्त हो जाता है.शब्दों से भावों में उतरना सुखद लगता है.

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  13. आपकी रचना पढ़कर मन प्रफुलित हो गया .....आभार

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  14. नवगीतों के मामले में आपका जवाब नहीं।
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  15. बहुत बढ़िया नवगीत पढ़ने को मिला.आभार.

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  16. मौसम के अनुकूल नव गीत ... बहुत सुन्दर ...

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  17. जीवन की हरियाली बन कर
    हरा-हरा तृण महके।
    अम्बर के नैना भर आए
    नीर झरे रह-रह के।
    bahut sundar prakritik varnan.aabhar itne sundar prikriti varnan ke liye .

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  18. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  19. नव बिम्बों से सजा सुन्दर नवगीत .....
    मौसम और जिंदगी....भावपूर्ण चित्रण

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  20. बहुत ही मनोहारी उत्कृष्ट प्रकृति चित्रण..आभार

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  21. naveen upmaon se varsha ko vibhooshit kiya hai aapne .bahut sundar bhavabhivyakti .aabhar .

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  22. नवगीत का क्या कहना, आपकी सधी कलम से एक और सोना निकला है। पर जो कहना चाहता हूं वह यह कि मुझे यह प्रयोग बहुत भाया --- “हरा-हरा तृण महके।”
    घास की सौंधी महक घास पर लोटाने वाले ही जाने ... !

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  23. .

    Beautiful creation Mahendra ji. The expressions are very appealing and impressive.

    You are looking gorgeous in this new pic .

    .

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  24. सुँदर मनभावन वर्षा गीत . आभार .

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  25. संध्या के आंचल में लाली
    वीर बहूटी दहके।
    अम्बर के नैना भर आए
    नीर झरे रह-रह के।

    बहुत सुन्दर नवगीत

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  26. बरसात के महीने में सामयिक कविता रची...अम्बर के नैना बरसाए !

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  27. varsh ritu ko sajivta ke sath darshata dil ko choo lene walaa pyara navgeet,,, mahendra ji hardik badhayi

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  28. आपका जवाब नहीं... बहुत खूबसूरत नवगीत.....वर्मा जी

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  29. अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  30. "दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
    इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा"

    ये श्वेत-श्याम रंगों का संयोजन ही है जो जीवन को जीवंत रखता है, न तो सब जड़ हो जाये।

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  31. शब्दों की अद्भुत संयोजना, भावों की कुशल चित्रकारी और प्रवाह तो ऐसा जैसा कोई शांत नदी कल-कल कर बह रही हो| इस नवगीत ने दिल गार्डेन गार्डेन कर दिया सर जी|

    कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे

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  32. जीवन की हरियाली बन कर
    हरा-हरा तृण महके।
    अम्बर के नैना भर आए
    नीर झरे रह-रह के।
    bahut sunder geet hai man aanandit hogay
    bahut badhai
    rachana

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  33. शब्दों की तूलिका से गीत में प्रकृति को उतार लिया है.उत्कृष्ट प्रकृति-चित्रण.

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  34. ओह...आनंद आ गया इस सरस अद्वितीय गीत को पढ़कर...

    बहुत बहुत आभार रसास्वादन का सुअवसर देने के लिए...

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  35. सुन्‍दर बिम्‍ब विधान से युक्‍त नवगीत।

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  36. आपकी रचनाओं का आस्वादन हर मर्तबा एक अलग स्वाद बोध कराता है स्वाद -इन्द्रियों को .आभार आपके प्रोत्साहन के लिए .

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