अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
प्रात स्नान कर दिनकर निकला,
छुपा क्षणिक आनन को दिखला,
संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
-महेंद्र वर्मा
नीर झरे रह-रह के।
प्रात स्नान कर दिनकर निकला,
छुपा क्षणिक आनन को दिखला,
संध्या के आंचल में लाली
वीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
इंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,
जीवन की हरियाली बन कर
हरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
-महेंद्र वर्मा
मौसम के मिज़ाज़ों को पिरोए सुंदर रचना. इस मौसम में भली प्रकार से संप्रेषित हुई है.
ReplyDeleteबढि़या अभिव्यक्ति, (बेहतर फोटो).
ReplyDeleteBahut khub ..Is barish ke mosum anusaar ..
ReplyDeleteमौसम के अनुरूप बेहतरीन नवगीत के लिये वर्मा जी को बधाई।
ReplyDeleteजीवन सदाबहार ही रहना चाहिए
ReplyDeleteदुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
ReplyDeleteइंद्रधनुष-सा सुख उजियारा,
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ||
बहुत बधाई ||
जीवन की हरियाली बन कर
ReplyDeleteहरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
बहुत सुंदर नवगीत ....
वर्षा रानी का बड़ा ही मनमोहक चित्रण .मानवीकरण प्रकृति का .सुन्दर बिम्ब विधान .
ReplyDeleteमनभावन रचना!
ReplyDeleteवर्षागमन का मनोहारी सन्देश...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नवगीत ...आज तो दिल्ली में बारिश भी हो रही है ..
ReplyDeleteकुछ नयापन सा है इस निर्मल रचना में .... ! हार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeleteप्रकृति और दर्शन एक साथ इस नवगीत में!! वर्मा साहब,आपके आनन के भी नूतन दर्शन हुए!!
ReplyDeleteऐसी रचना को पढ़कर मन तृप्त हो जाता है.शब्दों से भावों में उतरना सुखद लगता है.
ReplyDeleteआपकी रचना पढ़कर मन प्रफुलित हो गया .....आभार
ReplyDeleteनवगीतों के मामले में आपका जवाब नहीं।
ReplyDelete------
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बहुत बढ़िया नवगीत पढ़ने को मिला.आभार.
ReplyDeleteमौसम के अनुकूल नव गीत ... बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteजीवन की हरियाली बन कर
ReplyDeleteहरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
bahut sundar prakritik varnan.aabhar itne sundar prikriti varnan ke liye .
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
नव बिम्बों से सजा सुन्दर नवगीत .....
ReplyDeleteमौसम और जिंदगी....भावपूर्ण चित्रण
बहुत ही मनोहारी उत्कृष्ट प्रकृति चित्रण..आभार
ReplyDeletenaveen upmaon se varsha ko vibhooshit kiya hai aapne .bahut sundar bhavabhivyakti .aabhar .
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteनवगीत का क्या कहना, आपकी सधी कलम से एक और सोना निकला है। पर जो कहना चाहता हूं वह यह कि मुझे यह प्रयोग बहुत भाया --- “हरा-हरा तृण महके।”
ReplyDeleteघास की सौंधी महक घास पर लोटाने वाले ही जाने ... !
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ReplyDeleteBeautiful creation Mahendra ji. The expressions are very appealing and impressive.
You are looking gorgeous in this new pic .
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सुँदर मनभावन वर्षा गीत . आभार .
ReplyDeleteसंध्या के आंचल में लाली
ReplyDeleteवीर बहूटी दहके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
बहुत सुन्दर नवगीत
बरसात के महीने में सामयिक कविता रची...अम्बर के नैना बरसाए !
ReplyDeletevarsh ritu ko sajivta ke sath darshata dil ko choo lene walaa pyara navgeet,,, mahendra ji hardik badhayi
ReplyDeleteआपका जवाब नहीं... बहुत खूबसूरत नवगीत.....वर्मा जी
ReplyDeleteअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
"दुख श्यामल घन-सा अंधियारा,
ReplyDeleteइंद्रधनुष-सा सुख उजियारा"
ये श्वेत-श्याम रंगों का संयोजन ही है जो जीवन को जीवंत रखता है, न तो सब जड़ हो जाये।
शब्दों की अद्भुत संयोजना, भावों की कुशल चित्रकारी और प्रवाह तो ऐसा जैसा कोई शांत नदी कल-कल कर बह रही हो| इस नवगीत ने दिल गार्डेन गार्डेन कर दिया सर जी|
ReplyDeleteकुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
जीवन की हरियाली बन कर
ReplyDeleteहरा-हरा तृण महके।
अम्बर के नैना भर आए
नीर झरे रह-रह के।
bahut sunder geet hai man aanandit hogay
bahut badhai
rachana
शब्दों की तूलिका से गीत में प्रकृति को उतार लिया है.उत्कृष्ट प्रकृति-चित्रण.
ReplyDeleteओह...आनंद आ गया इस सरस अद्वितीय गीत को पढ़कर...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रसास्वादन का सुअवसर देने के लिए...
सुन्दर बिम्ब विधान से युक्त नवगीत।
ReplyDeleteVery sweet and enchanting lines
ReplyDeleteआपकी रचनाओं का आस्वादन हर मर्तबा एक अलग स्वाद बोध कराता है स्वाद -इन्द्रियों को .आभार आपके प्रोत्साहन के लिए .
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