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आलोकित हो दिग्दिगंत, वह दीप जलाएं,
देश हमारा झंकृत हो, वह साज बजाएं।
जन्म लिया हमने, भारत की पुण्य धरा पर,
सकल विश्व को इसका गौरव-गान सुनाएं।
कभी दूध की नदियां यहां बहा करती थीं,
आज ज्ञान-विज्ञान-कला की धार बहाएं।
अनावृत्त कर दे रहस्य जो दूर करे भ्रम,
ऐसे सद्ग्रंथों का रचनाकार कहाएं।
गौतम से गांधी तक सबने इसे संवारा,
आओ मिल कर और निखारें मान बढ़ाएं।
भाग्य कुपित है कहते, जो हैं बैठे ठाले,
कर्मशील कर उनको जीवन-गुर सिखलाएं।
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
धरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
-महेंद्र वर्मा
आलोकित हो दिग्दिगंत, वह दीप जलाएं,
देश हमारा झंकृत हो, वह साज बजाएं।
जन्म लिया हमने, भारत की पुण्य धरा पर,
सकल विश्व को इसका गौरव-गान सुनाएं।
कभी दूध की नदियां यहां बहा करती थीं,
आज ज्ञान-विज्ञान-कला की धार बहाएं।
अनावृत्त कर दे रहस्य जो दूर करे भ्रम,
ऐसे सद्ग्रंथों का रचनाकार कहाएं।
गौतम से गांधी तक सबने इसे संवारा,
आओ मिल कर और निखारें मान बढ़ाएं।
भाग्य कुपित है कहते, जो हैं बैठे ठाले,
कर्मशील कर उनको जीवन-गुर सिखलाएं।
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
धरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
-महेंद्र वर्मा
waaah sundar...ekta ka geet desh ka geet mera geet hum sabka geet....bas yahi sankalp...sabka hona hai...
ReplyDeleteओजस्वी रचना....
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
ReplyDeleteधरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
सुन्दर आशा जगाती पंक्तियाँ
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
ReplyDeleteधरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
..ओजस्वी रचना....
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
कितने सुन्दर भाव हैं महेंद्र भईया...
ReplyDelete“जैसे इक झरता झरना, उत्साह उडाता है वन में
वैसे यह सुन्दर रचना, सद्भाव जगाता है मन में”
हार्दिक बधाएयाँ और शुभकामनाएं....
सादर...
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
ReplyDeleteधरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
सुंदर भाव लिए हुए देशभक्ति से भरी रचना ....
बधाई.
प्रेरक देश-गीत
ReplyDeleteHypnoBirthing: Relax while giving birth?
ReplyDeleteHypnoBirthing: Relax while giving birth?
भाग्य कुपित है कहते, जो हैं बैठे ठाले,
ReplyDeleteकर्मशील कर उनको जीवन-गुर सिखलाएं।बहुत ही सार्थक ,उत्प्रेरक ,ओजपूर्ण गीत -सौदेश्य गीत - हरेक बंद एक अलग सन्देश लिए कैप्स्यूल सा असरकारी .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
http://veerubhai1947.blogspot.com/
भाग्य कुपित है कहते, जो हैं बैठे ठाले,
ReplyDeleteकर्मशील कर उनको जीवन-गुर सिखलाएं।बहुत ही सार्थक ,उत्प्रेरक ,ओजपूर्ण गीत -सौदेश्य गीत - हरेक बंद एक अलग सन्देश लिए कैप्स्यूल सा असरकारी .
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व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
http://veerubhai1947.blogspot.com/
HypnoBirthing: Relax while giving birth?
HypnoBirthing: Relax while giving birth?
गौतम से गांधी तक सबने इसे संवारा,
ReplyDeleteआओ मिल कर और निखारें मान बढ़ाएं।....
इस आह्वान की देश को जरुरत है आज... बढ़िया ग़ज़ल...
बहुत सुन्दर रचना, सार्थक प्रस्तुति .
ReplyDeleteभारतीय स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .
सुँदर भावोंकी वाली पंक्तियाँ / देश प्रेम की गंगा बह रही है .
ReplyDeleteआज 14 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
देश प्रेम से ओत-प्रोत रचना।
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .सार्थक रचना हेतु आभार .
ReplyDeletedevi chaudhrani
बहुत सुन्दर भावों से आह्वान किया है अपनी मात्रभूमि को सजने संवारने के लिए
ReplyDeleteबहुत सुंदर तरीके से देश के लिए शुभकामनाएँ दी गई हैं. रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं.
ReplyDeleteओजस्वी रचना....
ReplyDeleteसुन्दर आह्वान, स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर रचना, देशप्रेम से सराबोर...
ReplyDeleteप्रियवर महेन्द्र जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत अच्छा लिखा है , हमेशा की तरह …
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
धरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं
सुंदर भाव ! सुंदर आह्वान !
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
ReplyDeleteधरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।..
ओज़स्वी .. देश प्रेम में पगी लाजवाब रचना ..
देशप्रेम से ओतप्रोत एक अद्भुत रचना भाई महेंद्र जी स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें
ReplyDeleteदेशप्रेम से ओतप्रोत एक सुन्दर रचना ....
ReplyDeleteसार्थक विचार, शुभ संकल्प.
ReplyDeleteदेश-प्रेम को सपर्पित आपके विचारों में मेरा भी एक सुर मिला लें !
ReplyDeleteदेशप्रेम से ओतप्रोत.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएँ.
अनावृत्त कर दे रहस्य जो दूर करे भ्रम,
ReplyDeleteऐसे सद्ग्रंथों का रचनाकार कहाएं।
aameen
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसार्थक रचना हेतु आभार!
सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
ReplyDeleteधरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सुंदर प्रेरक प्रस्तुति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
कोटि-कोटि हाथों का श्रम निष्फल न होगा,
ReplyDeleteधरती को उर्वरा, देश को स्वर्ग बनाएं।
bahut sunder
aapko svatantrata divas ki bahut bahut badhai
rachana
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteसुंदर भाव लिए हुए देशभक्ति से भरी रचना ....
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
जय हिंद जय भारत
सचमुच आज से ६४ साल पहले ऐसे ही भारत की कल्पना की थी.. आपने जितने सुन्दर छंदों में सजाया है इस देश को सत्तालोलुप जनसेवकों ने उसे कितना विकृत और विद्रूप कर दिया है!!
ReplyDeleteवर्मा साहब! परमात्मा से यही प्रार्थना है कि हमारा देश वैसा हेई हो जैसा आपकी इस कविता में वर्णित है..
Reading this kind of article is worthy .It was easy to understand way of presentation are excellent.
ReplyDeletevery inspiring and motivating creation.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ......... भारत ज़रूर फिर विश्व का ताज बनेगा
ReplyDeleteगौतम से गांधी तक सबने इसे संवारा,
ReplyDeleteआओ मिल कर और निखारें मान बढ़ाएं।
आग्रहपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति...
गौतम से गांधी तक सबने इसे संवारा,
ReplyDeleteआओ मिल कर और निखारें मान बढ़ाएं।
एक एक पंक्ति देश भक्ति के जज्बे को जगाने में सक्षम !
भाग्य कुपित है कहते, जो हैं बैठे ठाले,
ReplyDeleteकर्मशील कर उनको जीवन-गुर सिखलाएं।आज फिर पढ़ी यह "आदर्श भारत " का स्वप्न संजोती रचना ,उतनी ही खूबसूरत सद्यस्नाता सी ,मौजू ,प्रासंगिक .
जो चाहें मिलता नहीं, मिलता अनानुकूल,
सोच सोच सब ढो रहे, मन भर दुख सा शूल।वाह भाई साहब यही तो ज़िन्दगी का यथार्थ है जीवन एक पैकेज हैबेहद खूबसूरत नीति परक दोहे हमारे वक्त की ज़रुरत हैं . यहाँ कडवा मीठा सब है ,ऐसा नहीं है ,कडवा कडवा थू ,मीठा मीठा गप . ram ram bhai
शनिवार, २० अगस्त २०११
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
सुंदर प्रेरक प्रस्तुति.
ReplyDeleteअच्छा लगा आपको पढ़ना. आभार |
ReplyDeleteBest wishes were given to the country in a very beautiful way. Very much inspirational and beautiful lines shared here. Thanks lot for sharing.
ReplyDeleteweb hosting