दोहे - सारे नाते नेह के



नाते इस संसार में, बनते एकाएक,
सारे नाते नेह के, नेह बिना नहिं नेक।


मन की गति कितनी अजब, कितनी है दुर्भेद,
तुरत बदलता रंग है, कोउ न जाने भेद।


मानव जीवन क्षणिक है, पल भर उसकी आयु,
लेकिन उसकी कामना, होती है दीर्घायु।


सुख के साथी बहुत हैं, होता यही प्रतीत,
दुख में रोए साथ जो, वही हमारा मीत।


क्रोधी करता है पुनः, अपने ऊपर क्रोध,
जब यथार्थ के ज्ञान का, हो जाता है बोध।


वह मनुष्य सबसे अधिक, है दरिद्र अरु दीन,
जो केवल धन ही रखे, विद्या सद्गुण हीन।


जो चाहें मिलता नहीं, मिलता अनानुकूल,
सोच सोच सब  ढो रहे, मन भर दुख सा शूल।

                                                                   -महेंद्र वर्मा

37 comments:

  1. आपकी सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति से दिल गदगद हो गया.
    मन ही मीत है और मन ही दुश्मन.
    आपके पावन हृदय को प्रणाम.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    हो सके तो 'भक्ति व शिवलिंग' पर अपने
    सुविचार प्रस्तुत कीजियेगा.

    आभार.

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  2. सुख के साथी बहुत हैं, होता यही प्रतीत,
    दुख में रोए साथ जो, वही हमारा मीत।

    All the couplets are so realistic. Everything is so short-lived yet we desire for it. Probably this is how we human beings are designed and destined to think.

    .

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  3. क्रोधी करता है पुनः, अपने ऊपर क्रोध,
    जब यथार्थ के ज्ञान का, हो जाता है बोध।

    क्रोध का अंत पश्चाताप है ...!

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  4. जो चाहें मिलता नहीं, मिलता अनानुकूल,
    सोच सोच सब ढो रहे, मन भर दुख सा शूल।
    bahut sunder aur sateek dohe hain....
    badhai.

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  5. जो चाहें मिलता नहीं, मिलता अनानुकूल,
    सोच सोच सब ढो रहे, मन भर दुख सा शूल।वाह भाई साहब यही तो ज़िन्दगी का यथार्थ है जीवन एक पैकेज हैबेहद खूबसूरत नीति परक दोहे हमारे वक्त की ज़रुरत हैं . यहाँ कडवा मीठा सब है ,ऐसा नहीं है ,कडवा कडवा थू ,मीठा मीठा गप . ram ram bhai

    शनिवार, २० अगस्त २०११
    कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
    स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
    क्योंकि इन दिनों -
    "राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
    मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    Saturday, August 20, 2011
    प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  6. क्रोधी करता है पुनः, अपने ऊपर क्रोध,
    जब यथार्थ के ज्ञान का, हो जाता है बोध।

    यही होता है..... गहन अभिव्यक्ति

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  7. सुख के साथी बहुत हैं, होता यही प्रतीत,
    दुख में रोए साथ जो, वही हमारा मीत।

    मिलता नही इस जग में ऐसा कोई मीत।

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  8. वर्मा साहब,
    सुन्दर दोहे आपके, प्रेरक सभी प्रसंग,
    इस तीरथ पे आये के, होता है सत्संग!
    प्रणाम!

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  9. वाह सटीक सार्थक और सामयिक दोहे…………अति उत्तम

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  10. “शास्वत की अभिव्यक्ति, स्वर्णसम उपदेश
    आपके इन दोहों में, जीवन का सन्देश “
    सादर बधाई...

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  11. भाई महेंद्र जी बहुत ही सुन्दर दोहे बधाई

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  12. मानव जीवन क्षणिक है, पल भर उसकी आयु,
    लेकिन उसकी कामना, होती है दीर्घायु।

    मानव कभी इस कामना से मुक्ति नहीं पा सकेगा ... बहुत ही सार्थक हैं सभी दोहे ...

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  13. सटीक सार्थक और सामयिक दोहे…

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  14. क्रोधी करता है पुनः, अपने ऊपर क्रोध,
    जब यथार्थ के ज्ञान का, हो जाता है बोध।

    जो चाहें मिलता नहीं, मिलता अनानुकूल,
    सोच सोच सब ढो रहे, मन भर दुख सा शूल।

    बहुत प्रेरणादायक दोहे हैं. लगता है आपके माध्यम से इस दोहा छंद का पुनर्जन्म हो रहा है.

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  15. बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.आपको कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें

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  16. आपकी रचना हमेशा ही सुन्दर और उपयोगी सीखों से भरी हुई होती ...ऐसे ही लिखते रहें ताकि हम जैसे लोग इनसे सबक लेकर आगे बढ़ सकें ...आभार

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  17. यथार्थ का बोध कराते सुन्दर दोहे.
    सभी दोहे एक से बढ़कर एक.

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  18. बढ़िया दोहे , काश लोग इन्हें समझें तो आनंद आये ! शुभकामनायें आपको !

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  19. bahut achchhe lage aapke dohe.aapko janmashtmi kee hardik shubhkamnayen.
    BHARTIY NARI

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  20. मानव जीवन क्षणिक है, पल भर उसकी आयु,
    लेकिन उसकी कामना, होती है दीर्घायु।


    सुख के साथी बहुत हैं, होता यही प्रतीत,
    दुख में रोए साथ जो, वही हमारा मीत।

    saryhak aur sandesh deta har doha amuly sougat hai aapke lekhan v vicharo kee hum logo ke liye .

    Aabhar.

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  21. बहूत ही सारगर्भीत और नितिपरक दोहे..इस बेहतरीन रचना के लिए साधुवाद

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  22. सुन्दर शिल्प में शाश्वत से दोहे . मनन करने योग्य. बहुत अच्छा लगा.शुभकामना

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  23. गहन अभिव्यक्ति लिए सारगर्भीत सार्थक दोहे..

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  24. आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार दोहे लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  25. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  26. शिल्प, भाव, शब्द चित्रण और उत्कृष्ट साहित्यिक रचना है ...

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  27. अच्छा लिखा है. सचिन को भारत रत्न क्यों? कृपया पढ़े और अपने विचार अवश्य व्यक्त करे.
    http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com

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  28. बेहतरीन दोहे, एक नई सोच,सार्थक और सामयिक दोहे बधाई
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

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  29. हमेशा की तरह यही कहूंगा - महेंद्र जी ! दोहों की रचना में आपका जवाब नहीं.एक से बढ़ कर एक.

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  30. सुख के साथी बहुत हैं, होता यही प्रतीत,
    दुख में रोए साथ जो, वही हमारा मीत।
    अत्युत्तम रचना ..दोहों के माध्यम से अति गहन अभिव्यक्ति
    अपार शुभकामनायें

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  31. महेंद्र जी
    बहुत सुन्दर दोहे
    सभी दोहे एक से बढ़कर एक.

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  32. एक से बढ़ कर एक दोहे। भविष्य की थाती बनने योग्य दोहे। यह दोहा दिल के काफ़ी क़रीब लगा

    क्रोधी करता है पुनः, अपने ऊपर क्रोध,
    जब यथार्थ के ज्ञान का, हो जाता है बोध।

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  33. अति उत्तम

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