कहाँ तुम चले गए / 10.10.2011



दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का खिलौना है



कलाकार
ईश्वर की सबसे प्यारी संतान होता है।
हे ईश्वर !
तुम जब भी अपनी बनाई दुनिया के
तमाम दंद-फंद से
कुछ पलों के लिए अलग होकर
अकेले होना चाहते  होगे,
अपने आत्म के सबसे करीब बेठना चाहते होगे,
मुझे यकीन है, 
उस समय तुम जगजीत सिंह को सुनते होगे।
हे ईश्वर ! 
अपनी आत्मा पर लगी हुई हर खुरच को
तुम जगजीत की आवाज के मखमल से
पोंछा करते होगे। 
मुझे यकीन है !

                                                                      -गीत चतुर्वेदी




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 दुनिया थोड़ी भली लगेगी



बज़्मे-ज़ीस्त सजाकर देख,
क़ुदरत के संग गा कर देख।


घर आएगा नसीब तेरा,
अपना पता लिखाकर देख।


रब तो तेरे दिल में ही है, 
सर को ज़रा झुका कर देख।


जानोगे हमदर्द कौन है,
कोई साज बजा कर देख।


क़ुदरत नेमत बाँट रही है,
दामन तो फैला कर देख।


दिल के ज़ख़्म कहाँ भरते हैं,
आँसू चार बहा कर देख।


दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
ख़ामोशी अपना कर देख।

                                        -महेंद्र वर्मा

41 comments:

  1. दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
    ख़ामोशी अपना कर देख।

    यही तो दिक्कत है ,कोई ख़ामोशी से सुनना ही नहीं चाहता.
    सभी शेर अच्छे है ग़ज़ल के.

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  2. ग़ज़ल बहुत बढ़िया है. जो इस शे'र में है वह पहले कहीं नहीं पढ़ा.
    'घर आएगा नसीब तेरा,
    अपना पता लिखाकर देख।'
    वाह !! क्या बात है !!

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  3. रब तो तेरे दिल में ही है,
    सर को ज़रा झुका कर देख।
    वर्मा साहब! क्या लाजवाब ग़ज़ल लिखी है। हर शे’र दिलो-दिमाग पर असर करता है।

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  4. सुन्दर और सार्थक रचना , बधाई

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  5. दिल के ज़ख़्म कहाँ भरते हैं,
    आँसू चार बहा कर देख।

    दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
    ख़ामोशी अपना कर देख।

    सही मार्गदर्शन कराती सुंदर प्रस्तुति. बधाई.

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  6. Aapki kavita mein batai gayi baton ko apnakar jeevan ko sarthak banaya ja sakta hai. aapki rachna sahaj, saral, evm bodhgamya hai.

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  7. भाई महेंद्र जी बहुत ही खूबसूरत गज़ल |बधाई और शुभकामनाएं

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  8. दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
    ख़ामोशी अपना कर देख।
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल !हर अशआर ध्यान खींचता है .

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  9. @क़ुदरत नेमत बाँट रही है,
    दामन तो फैला कर देख।

    शानदार गजल, हर शेर, बब्बर शेर है। आभार

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  10. घर आएगा नसीब तेरा,
    अपना पता लिखाकर देख।

    खूबसूरत प्रस्तुति ||
    बधाई ||

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  11. ग़ज़लों में दर्शन और एक स्वर्गिक अनुभूति, यह आपके ठाँव आपकर ही अनुभव होता है.. वर्मा साहब! नमन आपकी लेखनी को!!

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  12. बहुत अच्छी बात कही है आपने !

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  13. जानोगे हमदर्द कौन है,
    कोई साज बजा कर देख।

    दिल के ज़ख़्म कहाँ भरते हैं,
    आँसू चार बहा कर देख।
    ..........उम्दा अशआर...वाह!!!

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  14. .

    दिल के ज़ख़्म कहाँ भरते हैं,
    आँसू चार बहा कर देख....

    दो क्या लाख आँसू भी बहा लिए जाएँ , तो भी नहीं भरते हैं मन पर लगे ज़ख्म । लेकिन ऐसे वक़्त में किसी अपने से मिले अपनेपन के चार शब्द हर ज़ख्म भर देते हैं।

    .

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  15. दिल के ज़ख़्म कहाँ भरते हैं,
    आँसू चार बहा कर देख।
    वाह!! कितनी उम्दा गज़ल है... सर...
    और क्या संयोग... आज ही
    “आर देख” को काफिया और रदीफ बनाकर एक गज़ल कही है
    और “कर देख” में आपकी गज़ल...
    चमत्कृत हूँ... वाह! अदब भी क्या ही जादू है....
    सादर नमन.

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  16. प्रभावशाली प्रस्तुति

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  17. बज़्मे-ज़ीस्त सजाकर देख,
    क़ुदरत के संग गा कर देख।......खूबसूरत प्रस्तुति.

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  18. दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
    ख़ामोशी अपना कर देख।.....aisa karne par shukun ka ehsaas hota hai aur sach kahun sabhi log aur hamaari prakriti bahut sunder lagti hai....

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  19. घर आएगा नसीब तेरा,
    अपना पता लिखाकर देख।


    रब तो तेरे दिल में ही है,
    सर को ज़रा झुका कर देख।

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!

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  20. भला -भला सा लगा ...मतलब बहुत अच्छी लगी. दुनिया भी भली लग रही है.

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  21. क़ुदरत नेमत बाँट रही है,
    दामन तो फैला कर देख।


    दिल के ज़ख़्म कहाँ भरते हैं,
    आँसू चार बहा कर देख।


    दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
    ख़ामोशी अपना कर देख।

    बिल्कुल सही लिखा है आपने! सटीक पंक्तियाँ! बेहतरीन रचना

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  22. रब तो तेरे दिल में ही है,
    सर को ज़रा झुका कर देख।

    Bahut hi sundar panktiyan.
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    .

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  23. क़ुदरत नेमत बाँट रही है,
    दामन तो फैला कर देख।

    Bahut hi Sunder...

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  24. बढि़या गजल। अभी कुछ ही देर पहले इसी बहर में ढली हुई नीरज गोस्‍वामी जी की गजल पढ़ी। दोनों गजलें बहुत अच्‍छी लगीं।

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  25. रब तो तेरे दिल में ही है,
    सर को ज़रा झुका कर देख।

    ...सदैव की तरह लाज़वाब गज़ल..

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  26. घर आएगा नसीब तेरा,
    अपना पता लिखाकर देख।


    रब तो तेरे दिल में ही है,
    सर को ज़रा झुका कर देख।

    बहुत सुन्दर बात

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  27. कमाल की रचना है ....सरलता ने मुग्ध कर दिया !
    शुभकामनायें आपको !

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  28. दुनिया थोड़ी भली लगेगी,
    ख़ामोशी अपना कर देख।
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल

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  29. एक तो मन ऐसे ही इतना भरा हुआ था...उसपर आपकी रचना ने और भावुक कर दिया...बहा दिया...

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  30. गीत चतुर्वेदी जी की कविता के साथ जगजीत जी को याद करने का तरीका अच्छा है महेंद्र भाई। छोटी बहर की खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। नसीब के पास अपना पता लिखाने वाला मिसरा 'भई वाह' टाइप है।

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  31. बहुत ही उम्दा गज़ल.हर शेर लाजवाब, बेमिसाल.

    जगजीत जी को भाव-भीनी श्रद्धांजलि .

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  32. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल! जगजीत सिंह जी को मेरा शत शत नमन!

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  33. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल....जगजीत जी को भाव-भीनी श्रद्धांजलि .

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  34. जगजीत सिंह जी का निधन एक बहुत बड़ी क्षति है। मेरे पसंदीदा ग़ज़ल गायक थे। 'Hope' 'Mirage' 'passion' उनके favourite एल्बम थे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

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  35. महेंद्र जी बहुत सुंदर लगा । धन्यवाद ।

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  36. क़ुदरत नेमत बाँट रही है,
    दामन तो फैला कर देख।

    बहुत खूब महेंद्र वर्मा जी !जगजीत सिंह जी को भाव संसिक्त श्रृद्धांजलि ईश्वर यकीनन उन्हें सुनता होगा .

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  37. बहुत खूबसूरती से लिखी है मन की बात ..

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  38. सीधे सब्दों में गहरी बात ... छोटी बहर को भी आसानी से निभाना कोई आपसे सीखे ... लाजवाब ...

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  39. जगजीत जी कि आवाज का साथ
    दरख़्त था अहसासों का
    जिसकी हवाओं के साथ हमने भी अपना दर्द ,अपनी खुशी,कुछ जिंदगी के सच
    गुनगुनाये ना जाने कितनी बार ......बहुत उम्दा गजल !

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