ग़ज़ल



अंधकार को डरा रौशनी तलाश कर,
‘मावसों की रात में चांदनी तलाश कर।

बियाबान चीखती खामोशियों का ढेर है,
जल जहां-जहां मिले जि़ंदगी तलाश कर।

डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।

जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

बाग है धुआं-धुआं खेत-खेत कालिखें
सुब्ह शबनमी फिजां में ताजगी तलाश कर।

वर्जना की बेडि़यां हत परों की ख्वाहिशें,
आंख में घुली हुई बेबसी तलाश कर।

हर तरफ उदास-से चेहरों की भीड़ है,
मन किवाड़ खोल दे हर खुशी तलाश कर।

                                                                        
                                                                        -महेन्द्र वर्मा

45 comments:

  1. डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।
    वाह! कितनी सुन्दर बात कही है...

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  2. आपको पढ़कर बहुत ख़ुशी मिलती है . बेहतरीन नज़्म..

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  3. बहुत सुन्दर!!!!!

    जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

    लाजवाब गज़ल...
    सादर.

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  4. अंधकार को डरा रौशनी तलाश कर,
    ‘मावसों की रात में चांदनी तलाश कर।………………………वाह बेहद उम्दा और शानदार गज़ल दिल को छू गयी

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  5. बहुत प्रस्तुति...
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 19-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  6. बाग़ है धुवाँ धुवां खेत खेत कालिखें ।

    क्या बात है भाई

    कालिखें पर अब और हम का-लिखें

    बधाई जबरदस्त प्रस्तुति पर ।।

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  7. डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।

    ....बहुत खूब....बहुत उम्दा गज़ल...

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  8. बियाबान चीखती खामोशियों का ढेर है,
    जल जहां-जहां मिले जि़ंदगी तलाश कर।bahut achchi prastuti.

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  9. डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।

    इसे परफ़ेक्ट ग़ज़ल कहा जा सकता है. हर तरह से दिल में जा बसती है. एक ग़ज़ल थोड़े में कैसे जीवन को समेट लेती है, उसका यह उम्दा उदाहरण है. बधाई महेंद्र जी.

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  11. ना जाने कितनी वीथिकाओं में घूम आये आपकी ग़ज़ल के साथ . सुँदर

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  12. @ जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।...

    प्रभावशाली अभिव्यक्ति .........
    शुभकामनायें आपको !

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  13. एक से बढ़के एक शेर सकारात्मक ऊर्जा उलीचता हुआ .

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  14. हर तरफ उदास-से चेहरों की भीड़ है,
    मन किवाड़ खोल दे हर खुशी तलाश कर।

    बहुत खूब!!!

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  15. बियाबान चीखती खामोशियों का ढेर है,
    जल जहां-जहां मिले जि़ंदगी तलाश कर।

    डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर। ...वाह, बहुत ही बढ़िया

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  16. जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।
    आप की इस ग़ज़ल में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।

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  17. जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

    गहन भाव लिए खूबसूरत गजल

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  18. बाग है धुआं-धुआं खेत-खेत कालिखें
    सुब्ह शबनमी फिजां में ताजगी तलाश कर।

    dada i feel fresh and new to read your all lines.

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  19. क्या-क्या ना कह दिया आपने,ज़िंदगी का फलसफ़ा यही है—
    अमावसों की रात में,चांदनी तलाश कर,
    मन किवाड खोल दे,हर खुशी तलाश कर-

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  20. हर तरफ उदास-से चेहरों की भीड़ है,
    मन किवाड़ खोल दे हर खुशी तलाश कर।

    Behtreen Gazal

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  21. हर तरफ उदास-से चेहरों की भीड़ है,
    मन किवाड़ खोल दे हर खुशी तलाश कर।

    डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।

    एक से बढ़कर एक शेर... हमेशा की तरह

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  22. डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।
    ..लाज़वाब शेर।

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  23. वर्जना की बेडि़यां हत परों की ख्वाहिशें,
    आंख में घुली हुई बेबसी तलाश कर।

    लाजवाब गज़ल...

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  24. बहुत सुंदर ग़ज़ल..

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  25. जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

    बाग है धुआं-धुआं खेत-खेत कालिखें
    सुब्ह शबनमी फिजां में ताजगी तलाश कर।
    वाह ...बहुत ही अनुपम भाव संयोजन ... आभार ।

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  26. इस बहर में गज़ल काफी दिनों बाड़ सुनने को मिली.. और गज़ल में कही गयी बात तो हमेशा मोह लेती है!! प्रणाम स्वीकार करें!!

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  27. बियाबान चीखती खामोशियों का ढेर है,
    जल जहां-जहां मिले जि़ंदगी तलाश कर।

    वाह बहुत सुन्दर सर
    सादर

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  28. हर तरफ उदास-से चेहरों की भीड़ है,
    मन किवाड़ खोल दे हर खुशी तलाश कर।....बहुत ही खुबसूरत गजल..बधाई

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  29. सकारात्मक सोच को लेकर आगे बढते रहने को प्रोत्साहित करती गज़ल बहुत खूब |

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  30. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    बाग है धुआं-धुआं खेत-खेत कालिखें
    सुब्ह शबनमी फिजां में ताजगी तलाश कर।

    वर्जना की बेडि़यां हत परों की ख्वाहिशें,
    आंख में घुली हुई बेबसी तलाश कर।

    वाह...बहुत बेहतरीन ग़ज़ल...सुभान अल्लाह....बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  31. behtareen gazal...ek ek sher behad khoobsoorat...aadmi ki talash sabse mushkil kam...jo talash le usko mera shat shat pranam.

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  32. ये तलाश पूरी होंनी चाहियें, यही कामना करते हैं.

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  33. हर तरफ उदास-से चेहरों की भीड़ है,
    मन किवाड़ खोल दे हर खुशी तलाश कर.

    ज़रूर मिलेगी ख़ुशी.तलाश एक दिन ख़ुशी लेकर ज़रूर आयेगी.अच्छे हैं सभी शेर.बढ़िया ग़ज़ल.

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  34. जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

    वाह ... सुभान अल्ला ... क्या गज़ब का शेर है ... आज के हालात पे सही टिपण्णी ...
    पूरी गज़ल लाजवाब अहि

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  35. bahut hi sundar rachna hai,mere naye blog par aap saadr aamntrit hai

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  36. डगर-डगर घूमती सींगदार साजिशें,
    जा अगर कहीं मिले आदमी तलाश कर।

    वाह वाह ! बधाई !

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है
    मुबारकबाद !

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  37. जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

    जानते रहे जिसे साथ न दिया कोई,
    दोस्ती के वास्ते अजनबी तलाश कर।

    बेहतरीन यथार्थ जीवन का तराशती रचना .कृपया यहाँ भी कर्म फरमाएं -
    ram ram bhai

    बुधवार, 21 मार्च 2012
    गेस्ट आइटम : छंदोबद्ध रचना :दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है .

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  38. हो गई पूरी उमर झुक गई है तेरी कमर
    जिंदगी राह चल सत सुख को तलाश कर

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  39. यूं तो पूरी गजल बहुत खूबसूरत और भावों से भरी हुई है। लेकिन, शुरुआत के दो शेर अद्भुत।

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