दोहे



बाहर के सौंदर्य को , जानो बिल्कुल व्यर्थ,
जो अंतर्सौंदर्य है, उसका ही कुछ अर्थ।

समय नष्ट मत कीजिए, गुण शंसा निकृष्ट,
जीवन में अपनाइए, जो गुण सर्वोत्कृष्ट।

चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,
हरदम पीसें और को, शोर करें खुद रोग।

इतना डरते मौत से, कुछ की ये तकदीर,
जीने की शुरुआत भी, कर ना पाते भीर।

कार्य सिद्ध हो कर्म से, है यह बात अनूप,
होनहार ही होत है, आलस का ही रूप।

क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।

जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।

                                                                                 
                                                                 -महेन्द्र वर्मा

40 comments:

  1. समय नष्ट मत कीजिए, गुण शंसा निकृष्ट,
    जीवन में अपनाइए, जो गुण सर्वोत्कृष्ट।

    जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।

    चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,
    हरदम पीसें और को, शोर करें खुद रोग।

    बहुत बढ़िया दोहे

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  2. इन नीतिपरक दोहों ने मन मोह लिया. इनमें सीखने के लिए बहुत कुछ है. दोहे प्रशंसनीय हैं. आपका आभार.

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  3. क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
    शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।

    सुंदर अर्थपूर्ण दोहे....

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  4. जीवन का सार समझाते.... सुंदर,सटीक दोहे !
    आभार!

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  5. कार्य सिद्ध हो कर्म से, है यह बात अनूप,
    होनहार ही होत है, आलस का ही रूप।
    .......बहुत प्रेरणा दायक दोहे बधाई
    पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...!!!!!

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  6. वाह!!!!


    इतना डरते मौत से, कुछ की ये तकदीर,
    जीने की शुरुआत भी, कर ना पाते भीर।

    बहुत बढ़िया दोहे...

    सादर
    अनु

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  7. नए प्रतीक और अर्थ लिए आते हैं आपके दोहे सहज आत्मा का स्पर्श करते हुए मद चूर को आईना दिखाते हुए देते हुए एक सीख ,भाव बोध अर्थ जीवन का जगत का .

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  8. सुंदर ज्ञान वर्धक और नीतिपरक दोहे..


    जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।

    बधाईयाँ इस सुंदर प्रस्तुति.

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  9. समय नष्ट मत कीजिए, गुण शंसा निकृष्ट,
    जीवन में अपनाइए, जो गुण सर्वोत्कृष्ट।
    ....

    कार्य सिद्ध हो कर्म से, है यह बात अनूप,
    होनहार ही होत है, आलस का ही रूप।
    ....

    क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
    शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।.... बहुत बढ़िया

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  10. कार्य सिद्ध हो कर्म से, है यह बात अनूप,
    होनहार ही होत है, आलस का ही रूप।

    bilkul sahi kaha sir aapane

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  11. इतना डरते मौत से, कुछ की ये तकदीर,
    जीने की शुरुआत भी, कर ना पाते भीर ..

    बहुत ही सुन्दर दोहे हैं ... सामजिक व्यवहारिक और सत्य के प्रति समर्पित ... लाजवाब ...

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  12. जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।
    ..मुझे तो यह वाला दोहा सबसे अच्छा लगा।

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  13. नीतिपरक व ज्ञान वर्धक दोहे अति उत्तम हैं

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  14. हर एक दोहा ज्ञानवर्धक और सत्य के करीब!

    चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,
    हरदम पीसें और को, शोर करें खुद रोग।

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  15. नवीनता लिए होती है आपकी लेखनी से निकली रचनाएँ..(दोहे) .

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  16. क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
    शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।
    बहुत ही शिक्षाप्रद बातें कही है आपने इन दोहों के माध्यम से।

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  17. क्या बात है ! उत्कृष्ट दोहे अपने सन्देश में सफल .रोचकता व विविधता लिए ..शुभकामनायें जी /

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  18. नीति के दोहे .,रीति -युगीन कवियों को टक्कर दे रहे हैं !

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  19. एक से एक बढ़ कर सुन्दर और सार्थक दोहे ...बहुत बढ़िया

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  20. चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,
    हरदम पीसें और को, शोर करें खुद रोग।
    माटी कहे कुम्हार से ,तू क्या रोंदे मोय.

    एक दिन ऐसा आयेगा ,मैं रोंदुन्गी तोय .

    आक्रामक होना खुद को भी नष्ट करता है .रोग ग्रस्त बनाता है काया को उत्तेजन .बहुत खूब .

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  21. जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।

    सभी दोहे कमाल के हैं ... ये वाला बेहद पसंद आया ...

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  22. बहुत सुंदर शिक्षा प्रद दोहे...
    सादर आभार।

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  23. इतना डरते मौत से, कुछ की ये तकदीर,
    जीने की शुरुआत भी, कर ना पाते भीर।

    ...बहुत खूब! बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे..

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  24. क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
    शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।

    जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।
    meaning ful dohe .
    bhaiya I AM JEALOUS OF YOU.

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  25. सारगर्भित दोहे. जिंदगी के बेहद करीब.

    सादर

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  26. वाह सर . आपके दोहे तो दिल को छू जाते है , बहुत सुँदर .

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  27. चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,
    हरदम पीसें और को, शोर करें खुद रोग।

    वाह !!!!!!!!!!!! इस दोहे ने तो सचमुच लूट ही लिया .... ...

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  28. वाह वाह ……… एक से बढकर एक दोहे, आपके नम्बर गंवागे हे गौ, एको बेर घंटी बजा देबे। :)

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  29. खुशी और हर्ष से भी परे एक आनंद की अवस्था होती है... आपकी रचनाएं पढकर वही अनुभव होता है वर्मा साहब!
    यह दोहावली भी एक ऐसा ही आनंद प्रदान करती है!!

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  30. बहुत बढ़िया आनंद का अनुभव देती रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन दोहे ,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  31. सभी दोषे अर्थपूर्ण और संदेशप्रद...

    क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
    शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।

    बधाई और शुभकामनाएँ.

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  32. क्रोध लोभ या मोह को, सदा मानिए रोग,
    शत्रु भयानक तीन हैं, कभी न कीजे योग।

    जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।
    बहुत सुन्दर प्रेरणादायी दोहे ..आभार ...
    शुभ कामनाएं !!!

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  33. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/04/3.html#comments

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  34. वाह!! बहुत उम्दा रचना।

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  35. बहुत ही बढ़िया
    और सार्थक दोहे ....

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  36. जुगनू जैसी ख्याति है, चमके केवल दूर,
    जरा निकट से देखिए, गर्मी है ना नूर।

    बेहतरीन दोहा, क्या कहने!

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  37. पठनीय भी और जीवन में उतारने योग्य भी।

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