जल से काया शुद्ध हो, सत्य करे मन शुद्ध,
ज्ञान शुद्ध हो तर्क से, कहते सभी प्रबुद्ध।
धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,
सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।
ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,
जहाँ नदी में गहनता, जल अति थिर अरु धीर।
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
अंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
मात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।
यों समझें अज्ञान को, जैसे मन की रात,
जिसमें न तो चाँद है, न तारे मुसकात।
-महेन्द्र वर्मा
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
ReplyDeleteअंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
all lines are vrry beautiful
and very very near to heart
and life ,we should follow these
I LOVE IT .PLEASE MAIL THESE
FOR COLLECTION.
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
ReplyDeleteमरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
यों समझें अज्ञान को, जैसे मन की रात,
जिसमें न तो चाँद है, न तारे मुसकात।
bahut sundar dohe
धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,
ReplyDeleteसारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।
Bahut Sunder
अंतर की आवाज सुनने वाले को कुछ और भाता ही नहीं है फिर|
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteतीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
ReplyDeleteमात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।
बिना इनके प्रति सम्मान के जीवन व्यर्थ है। ये ही जिनहोंने जीवन को सही दिशा दी।
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
ReplyDeleteमरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।... इसे खींचकर लम्बा क्यूँ बनाना
दोहे सारे आपके , ज्ञान रतन भंडार
ReplyDeleteपाठकगण के वास्ते, हैं अनुपम उपहार
हैं अनुपम उपहार,नीति और रीति सिखाते
संस्कार, सद्भाव और आध्यात्म बताते
अंतर की आवाज जगे,मन सत्य ही मोहे
ज्ञान रतन भंडार, आपके सारे दोहे.
सारगर्भित बातें बहुत सुन्दर रूप
ReplyDeleteसे प्रस्तुत की हैं आपने.दिल को
सकून मिलता है पढकर.अनुपम प्रस्तुति
के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-865 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 30-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-865 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
ReplyDeleteमात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।
सच है ...सच रहेगा ..
शुभकामनायें !
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
ReplyDeleteमरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
वाह..............
बहुत बहुत सुंदर
सादर.
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
ReplyDeleteअंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
....बहुत खूब! सार्थक संदेश देते बहुत सुंदर दोहे...
ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,
ReplyDeleteजहाँ नदी में गहनता, जल अति थिर अरु धीर।
जीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
मरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
सारे दोहे बहुत सुंदर ....
कभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
ReplyDeleteअंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
सुंदर ज्ञानवर्धक दोहे ....
आभार...
तीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान
ReplyDeleteमात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान
बहुत सुन्दर भाव ... आभार
जीवन का सार है आपकी रचना में..
ReplyDeleteधरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,
ReplyDeleteसारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।
सार्थक सन्देश ...
एक से बढ़कर एक दोहों द्वारा जीवन दर्शन कराती इस प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत आभार महेंद्र जी।
ReplyDeleteतीन व्यक्तियों का सदा, करिए नित सम्मान,
ReplyDeleteमात-पिता-गुरु पूज्य हैं, सब से बड़े महान।....
महेंद्र जी, यह आज के समय में जरुरी अपील अपने की है.... वर्तमान पीढ़ी कब उनका निर्माण करने वालों को ठोकर मर दे कह नहीं सकते... संस्कारों की बड़ी कमी आ गयी है समाज में...
' ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,'
ReplyDelete- ज्ञान का गहन गांभीर्य है आपकी उक्तियों में !
वाह, बहुत बढ़िया दोहे!!
ReplyDelete....बहुत खूब! सार्थक संदेश देते बहुत सुंदर दोहे...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, पठनीय, संकलनीय और अनुकरणीय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteयों समझें अज्ञान को, जैसे मन की रात,
ReplyDeleteजिसमें न तो चाँद है, न तारे मुसकात।
बहुत सौदेश्य शैर हैं , ग़ज़ल के सारे के , सारे सार्थक इतने, जितने आसमान में तारे .
कृपया यहाँ भी पधारें
सोमवार, 30 अप्रैल 2012
सावधान !आगे ख़तरा है
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रविवार, 29 अप्रैल 2012
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रविवार, 29 अप्रैल 2012
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वाह क्या बात है सर, बहुत खूब...हर एक पंक्ति लजावाब है। प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteकभी-कभी अविवेक से, हो जाता अन्याय,
ReplyDeleteअंतर की आवाज से, होता सच्चा न्याय।
नीति निर्देशक दोहे. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
bahut khub lajavab aur behtarin rachana....
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक मनके काढ अतिसुन्दर रचना सजाया आपने..
ReplyDeleteधारण करने योग्य अनुसरणीय सीख...
खुशनुमा जीवन के अनमोल नुस्खे ......
ReplyDeleteआभार!
aapke blog ke naam ke anuroop he hoti hain aapki shandaar rachnayein..sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteनीति के दोहे सर्वथा उपयुक्त और विचारणीय . सुँदर .
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सुन्दर दोहे...आभार
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति.
ReplyDeleteजीवन क्या है जानिए, ना शह है ना मात,
ReplyDeleteमरण टले कुछ देर तक, बस इतनी सी बात।
कहा जाता है कि मृत्यु अटल है. कैसे अटल है आपके इस दोहे ने उसे कह दिया है. यह वह टलना है जो वास्तव में अटल है. बहुत सुंदर दोहे देने के लिए आभार महेंद्र जी.
सभी दोहे बीस हैं सर....
ReplyDeleteसादर.
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