1.
मैं ही
सही हूँ
शेष सब गलत हैं
ऐसा तो
सभी सोचते हैं
लेकिन ऐसा सोचने वाले
कुछ लोग
अनुभव करते हैं
अतिशय दुख का
क्योंकि
शेष सब लोग
लगे हुए हैं
सही को गलत
और गलत को सही
सिद्ध करने में
2.
मुझे
एक अजीब-सा
सपना आया
मैंने देखा
एक जगह
भ्रष्टाचार की
चिता जल रही थी
लोग खुश थे
हँस-गा रहे थे
अमीर-गरीब
गले मिल रहे थे
सभी एक-दूसरे से
राम-राम कह रहे थे
बगल में
छुरी भी नहीं थी
सपने
सच हों या न हों
पर कितने अजीब होते हैं
है न ?
-महेन्द्र वर्मा
दोनों कविताएं मन को झकझोरती हैं।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बहुत सुंदर ... सपना तो सच ही अजीब देखा ...भला कहीं ऐसा होता है
ReplyDeleteसपने
ReplyDeleteसच हों या न हों
पर कितने अजीब होते हैं
है न
बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
आपकी कविताओं के भाव गहन होते हैं ...!!
ReplyDeleteयहाँ भी एक टीस उभर रही है ...जो मन उद्वेलित कर रही है ...!!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...!!
शुभकामनायें ...!!
सपने अपने ही होते हैं ,भाव पूर्ण कविताएँ .दिल में उतरनेवाली दिल के करीब ........
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteकाश आपका स्वप्न सच हो जाये........
सादर.
काश........ और कोई हो न मगर आपका यह सपना सच हो जाये तो कितना अच्छा हो....
ReplyDeleteसपने सच हो ऐसी दुआ है . उम्मीद का दिया जलता रहे . सुँदर रचना .
ReplyDeleteदोनो कवितायेँ सोचने पर विवश करती हैं |अच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
वाह .. क्या कहने .. सपने सच में अजीब होते हैं जो ये सब दिखाते हैं और हम मजबूरी में देखते भी हैं ...
ReplyDeleteदोनो ही कविताये गहन सोच को दर्शाती हैं।
ReplyDelete१. इसीलिये सही और गलत के गणित को जानना जरूरी है
ReplyDelete२. सपना ही था ये तो .. और फिर अजीब भी तो है
bahut kuch kah gai aapki ye 2 kavitaye
ReplyDeleteThanks
http://drivingwithpen.blogspot.in/
गहन भाव लिए ..उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteपहली कविता दुनिया के सारे कारोबार को दो पंक्तियों में कह जाती है और दूसरी कविता कभी सच न होने वाले सत्य का अंतर्विरोध है. वाह महेंद्र जी. पहली कविता चौंका गई और दूसरी जला गई.
ReplyDeleteबहुत हि कम शब्दों में आपने बहुत कुछ कह दिया|
ReplyDeleteवाह शाश्वत शिल्प वाह धन्यवाद महेंद्र जी
दोनों रचनाएँ बहुत सुंदर ...अच्छी प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteमहेंद्र वर्मा जी ,ये बिलकुल फ़िज़ूल सपना है .और गर ये सच भी हो जाए तो भाई साहब यहाँ तो हम शक्ल (clone )बना लिए गएँ हैं .भ्रष्टाचार के कुनबे के .ऐसे सपने न देखा करें आर्थिक वृद्धि रुक जायेगी .देश खड़ा हो जाएगा .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteस्वागत बिधान बरुआ :
स्वागत बिधान बरुआ :आमंत्रित करता है लोकमान्य तिलक महापालिका सर्व -साधारण रुग्णालय शीयन ,मुंबई ,बिधान बरुआ साहब को जो अपनी सेक्स चेंज सर्जरी के लिए पैसे की तंगी से जूझ रहें हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/और यहाँ भी ज़नाब -
ये है बोम्बे मेरी जान (अंतिम भाग )
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/drug-dilemma.html
गहन भाव / उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteदोनों रचनायें बहुत सार्थक और सुन्दर...आभार
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ बहुत सुंदर...अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteमन खुश हो गया पढ़ कर
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ सुंदर लगी ....
ReplyDeleteआप की दोनों रचनाएँ ...बहुत कुछ समझा रही हैं .
ReplyDeleteआभार!
मन में उठते भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति।
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