सहमे से हैं लोग न जाने किसका डर है,
यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है।
दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से,
अल्लामा को दुख सहते देखा अक्सर है।
सच कहते हैं लोग समय बलवान बहुत है,
रहा कोई महलों में लेकिन अब बेघर है।
हसरत भरी निगाहें तकतीं नील गगन में,
मगर कहां परवाज हो चुके हम बेपर हैं।
अच्छी सूरत वालों ने इतिहास बिगाड़ा,
सीरत जिसकी अच्छी बेशक वह सुंदर है।
मैं तो हूं बंदे का मालिक मेरा क्या है,
जहां नेह का दीप जले मेरा मंदर है।
मेरे मन की बात समझ न पाओगे तुम,
तेरे मेरे दुख में शायद कुछ अंतर है।
- महेन्द्र वर्मा
यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है।
दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से,
अल्लामा को दुख सहते देखा अक्सर है।
सच कहते हैं लोग समय बलवान बहुत है,
रहा कोई महलों में लेकिन अब बेघर है।
हसरत भरी निगाहें तकतीं नील गगन में,
मगर कहां परवाज हो चुके हम बेपर हैं।
अच्छी सूरत वालों ने इतिहास बिगाड़ा,
सीरत जिसकी अच्छी बेशक वह सुंदर है।
मैं तो हूं बंदे का मालिक मेरा क्या है,
जहां नेह का दीप जले मेरा मंदर है।
मेरे मन की बात समझ न पाओगे तुम,
तेरे मेरे दुख में शायद कुछ अंतर है।
- महेन्द्र वर्मा
sundar v sarthak abhivyakti .hardik aabhar
ReplyDeleteवाह!!!बहुत बढ़िया उम्दा गजल ,,,
ReplyDeleteRECENT POST : फूल बिछा न सको
अच्छी सूरत वालों ने इतिहास बिगाड़ा,
ReplyDeleteसीरत जिसकी अच्छी बेशक वह सुंदर है।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढने को मिली
ReplyDeleteअच्छी सूरत वालों ने इतिहास बिगाड़ा,
सीरत जिसकी अच्छी बेशक वह सुंदर है।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
अक्षरश: अति सुन्दर कहा है ..
ReplyDeleteहसरत भरी निगाहें तकती नील गगन में
ReplyDeleteमगर कहाँ परवाजहो चुके हम बेधार हैं |
बढ़िया पंक्ति |भावपूर्ण रचना |
आशा
बहुत खूबसूरत गज़ल ....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ....
ReplyDeleteदुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से,
ReplyDeleteअल्लामा को दुख सहते देखा अक्सर है।
अक्षरशः सत्य!
बेहद सुन्दर ग़ज़ल!
सहमे से हैं लोग न जाने किसका डर है,
ReplyDeleteयही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है।
किसे कहूँ जो दिल पर अपने छाप नहीं बना गए एक से सात तक बेहतरीन से बेहतरीन
कहा छुआ कर रखते हैं कभी हमें भी वहां घुमाने ले चलिए प्रणाम
सुन्दर आदरणीय-
ReplyDeleteबधाई-
बड़ी खूबसूरती से बयाँ किया है .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteसच कहते हैं लोग समय बलवान बहुत है,
ReplyDeleteरहा कोई महलों में लेकिन अब बेघर है..
जीवन की हकीकत है ये ... समय से बढ़ के कोई नहीं ... लाजवाब गज़ल है ...
मैं तो हूं बंदे का मालिक मेरा क्या है,
ReplyDeleteजहां नेह का दीप जले मेरा मंदर है।
बहुत सुंदर कहा है.
खूबसूरत गज़ल ...
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