सबसे ज्यादा अपना है,
वह जो मेरा साया है।
मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।
कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।
दुनियादारी है क्या शै,
धुंआ-धुंआ सा दिखता है।
आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।
सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।
इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है।
-महेन्द्र वर्मा
वह जो मेरा साया है।
मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।
कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।
दुनियादारी है क्या शै,
धुंआ-धुंआ सा दिखता है।
आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।
सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।
इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है।
-महेन्द्र वर्मा
ReplyDelete'आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।
सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।'
- सभी तत्वपूर्ण -छोटा छंद गहरी बात !
आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
ReplyDeleteतेरा मेरा सब का है।
सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।
इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है।
विचारपूर्ण रचना आदरणीय
इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ReplyDeleteये कैसा बंटवारा है। ..
बहुत ही लाजवाब शेर है ... दार्शनिक पहलू लिए ...
वर्मा सा... आपकी रचनाएँ छोटी मगर गहरी, सहज किंतु सार्थक, सरल फिर भी दार्शनिक, आसान मगर अध्यात्मिक होती हैं... और क्या कहूँ. किसी भी एक छन्द को लेकर यदि टिप्पणी करने बैठे तो अनुभूति और अभिव्यक्ति में झगड़ा शुरू हो जाएगा!! आनन्द!
ReplyDeleteआपको पढ़ते हुए भाव स्वयं ही भींच लेता है..
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।
कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।
बेहद भावपूर्ण!
सादर
अनु
आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
ReplyDeleteतेरा मेरा सब का है। bahut badhiya par kahan samjh me aati sabko aissee baten ?
वाह...बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteये तेरा वो मेरा ...बस येही आज का नारा है
ReplyDeleteकुछ आखर कुछ मौन बचा,
ReplyDeleteयह मेरा सरमाया है।
......बेहद भावपूर्ण!
आग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ...खुशकिस्मत हूँ मैं एक मुलाकात मृदुला प्रधान जी से
मन की आंखें खुल जातीं,
ReplyDeleteदिल में अगर उजाला है।
गज़ल अन्तर्मन से गाया गया लगता है। मन को छु लिया।