तेरा-मेरा-सब का

सबसे ज्यादा अपना है, 
वह जो मेरा साया है।

मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।

कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।

दुनियादारी है क्या शै,
धुंआ-धुंआ सा दिखता है।

आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।

सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।

इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है।

                                                       -महेन्द्र वर्मा

11 comments:

प्रतिभा सक्सेना said...


'आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।

सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।'
- सभी तत्वपूर्ण -छोटा छंद गहरी बात !

Vandana Ramasingh said...

आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है।

सुर में या बेसुर लेकिन,
जीवन सब का गाता है।

इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है।

विचारपूर्ण रचना आदरणीय

दिगम्बर नासवा said...

इतनी तेरी धूप, ये मेरी,
ये कैसा बंटवारा है। ..

बहुत ही लाजवाब शेर है ... दार्शनिक पहलू लिए ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

वर्मा सा... आपकी रचनाएँ छोटी मगर गहरी, सहज किंतु सार्थक, सरल फिर भी दार्शनिक, आसान मगर अध्यात्मिक होती हैं... और क्या कहूँ. किसी भी एक छन्द को लेकर यदि टिप्पणी करने बैठे तो अनुभूति और अभिव्यक्ति में झगड़ा शुरू हो जाएगा!! आनन्द!

Amrita Tanmay said...

आपको पढ़ते हुए भाव स्वयं ही भींच लेता है..

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह....
बहुत सुन्दर..
मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।

कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।
बेहद भावपूर्ण!
सादर
अनु

Dr.NISHA MAHARANA said...

आंसू मुस्कानों से रिश्ता,
तेरा मेरा सब का है। bahut badhiya par kahan samjh me aati sabko aissee baten ?

डॉ. मोनिका शर्मा said...

वाह...बेहतरीन पंक्तियाँ

अशोक सलूजा said...

ये तेरा वो मेरा ...बस येही आज का नारा है

संजय भास्‍कर said...

कुछ आखर कुछ मौन बचा,
यह मेरा सरमाया है।
......बेहद भावपूर्ण!

आग्रह है-- हमारे ब्लॉग पर भी पधारे
शब्दों की मुस्कुराहट पर ...खुशकिस्मत हूँ मैं एक मुलाकात मृदुला प्रधान जी से

Baldau Ram sahu said...

मन की आंखें खुल जातीं,
दिल में अगर उजाला है।
गज़ल अन्तर्मन से गाया गया लगता है। मन को छु लिया।