देवता

आदमी को आदमी-सा फिर बना दे देवता,
काल का पहिया ज़रा उल्टा घुमा दे देवता।

लोग सदियों से तुम्हारे नाम पर हैं लड़ रहे,
अक़्ल के दो दाँत उनके फिर उगा दे देवता।

हर जगह मौज़ूद पर सुनते कहाँ हो इसलिए,
लिख रखी है एक अर्ज़ी कुछ पता दे देवता।

शौक से तुमने गढ़े हैं आदमी जिस ख़ाक से,
और थोड़ी-सी नमी उसमें मिला दे देवता।

लोग  तुमसे  भेंट  करवाने  का  धंधा  कर  रहे,
दाम उनको बोल कर कुछ कम करा दे देवता।

धूप-धरती-जल-हवा-आकाश के अनुपात को,
कुछ बदल कर देख थोड़ा फ़र्क़ ला दे देवता।

आजकल दुनिया की हालत देख तुम ग़मगीन हो,
कुछ  ग़लत  मैंने  कहा  हो  तो  सज़ा  दे  देवता।

                                                                              -महेन्द्र वर्मा

15 comments:

  1. बहुत खूब , मंगलकामनाएं वर्मा जी !!

    ReplyDelete
  2. शौक से तुमने गढ़े हैं आदमी जिस ख़ाक से,
    और थोड़ी-सी नमी उसमें मिला दे देवता।

    वाह क्या खूबसूरत लिखते हैं।

    ReplyDelete
  3. वर्मा सा.
    वर्त्तमान युग की अनोखी और सटीक प्रार्थना. यही नहीं, आपकी इस प्रार्थना पर आमीन कहने को दिल चाहता है!!

    ReplyDelete
  4. शौक से तुमने गढ़े हैं आदमी जिस ख़ाक से,
    और थोड़ी-सी नमी उसमें मिला दे देवता।

    लोग तुमसे भेंट करवाने का धंधा कर रहे,
    दाम उनको बोल कर कुछ कम करा दे देवता।

    धूप-धरती-जल-हवा-आकाश के अनुपात को,
    कुछ बदल कर देख थोड़ा फ़र्क़ ला दे देवता।

    बहुत सच्ची ग़ज़ल आदरणीय

    ReplyDelete
  5. लोग तुमसे भेंट करवाने का धंधा कर रहे,
    दाम उनको बोल कर कुछ कम करा दे देवता।...
    बहुत खूब ... जबरदस्त व्यंग की धार है आपकी लेखनी में ... बधाई हो इस कमाल की ग़ज़ल के लिए ...

    ReplyDelete
  6. सुन्दर रचना !
    अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर !
    मैं आपके ब्लॉग को फॉलो कर रहा हु,
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है , अगर पसंद आये तो कृपया फॉलो करे और अपने सुझाव भेजते रहे !

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  8. आपकी आवाज़ उन तक पहुंचे. सुन्दर लिखा है.

    ReplyDelete
  9. आज के यथार्थ की सटीक अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  10. आजकल दुनिया की हालत देख तुम ग़मगीन हो,
    कुछ ग़लत मैंने कहा हो तो सज़ा दे देवता।

    दिल तक उतर गयी

    ReplyDelete
  11. भावमयी प्रवाहमयी रचना और बहुत सुंदर भी. वाह!

    ReplyDelete
  12. बहुत ही सुंदर रचना। बहुत बहुत मंगलकामनाएं आपको।

    ReplyDelete
  13. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    ReplyDelete
  14. बहुत ही सुदर ग़ज़ल है सर जी।

    ReplyDelete