श्रेष्ठ विचारक से अगर, करना हो संवाद,
उनकी पुस्तक बांचिए, भीतर हो अनुनाद।
जिनकी सोच अशक्त है, वे होते वाचाल,
उत्तम जिनकी सोच है, नहीं बजाते गाल।
सुनना पहले सीखिए, फिर देखें हालात,
बुरे वचन में भी दिखे, कोई अच्छी बात।
स्वविश्वास सहेजिए, कभी न होती हार,
तुष्टि विजय यश आत्मबल, अनुगामी हों चार।
महापुरुष जो दे गए, निज कर्मों से सीख,
भूल गई दुनिया उन्हें, कहीं न पड़ती दीख।
स्वाभिमानियों का सदा, ऊँचा रहता माथ,
दंभी तब तक हाँकते, जब तक सत्ता साथ।
प्रकृति समय अरु धीरता, कभी न होते नष्ट,
औषधि ये ही तीन हैं, हरते सारे कष्ट।
-महेन्द्र वर्मा
उनकी पुस्तक बांचिए, भीतर हो अनुनाद।
जिनकी सोच अशक्त है, वे होते वाचाल,
उत्तम जिनकी सोच है, नहीं बजाते गाल।
सुनना पहले सीखिए, फिर देखें हालात,
बुरे वचन में भी दिखे, कोई अच्छी बात।
स्वविश्वास सहेजिए, कभी न होती हार,
तुष्टि विजय यश आत्मबल, अनुगामी हों चार।
महापुरुष जो दे गए, निज कर्मों से सीख,
भूल गई दुनिया उन्हें, कहीं न पड़ती दीख।
स्वाभिमानियों का सदा, ऊँचा रहता माथ,
दंभी तब तक हाँकते, जब तक सत्ता साथ।
प्रकृति समय अरु धीरता, कभी न होते नष्ट,
औषधि ये ही तीन हैं, हरते सारे कष्ट।
-महेन्द्र वर्मा
sundar dohe
ReplyDeleteसुन्दर ,सार्थक दोहे
ReplyDeleteसार्थक दोहे
ReplyDeletehttp://ghoomofiro.blogspot.in/
स्वाभिमानियों का सदा, ऊँचा रहता माथ,
ReplyDeleteदंभी तब तक हाँकते, जब तक सत्ता साथ..
सुन्दर, सार्थक .... कमाल के हैं सभी दोने ... गहरा दर्शन लिए ...
क्या बात है एक एक बात सोने सी खरी
ReplyDeleteलाज़वाब...सभी दोहे बहुत सुन्दर और सार्थक...
ReplyDeleteसुनना पहले सीखिए, फिर देखें हालात,
ReplyDeleteबुरे वचन में भी दिखे, कोई अच्छी बात।
कृति समय अरु धीरता, कभी न होते नष्ट,
औषधि ये ही तीन हैं, हरते सारे कष्ट।
... बहुत सुन्दर दोहावली ...
बहुत ही सरल भाषा में कही गई नीति.
ReplyDeleteस्वाभिमानियों का सदा, ऊँचा रहता माथ,
दंभी तब तक हाँकते, जब तक सत्ता साथ.
बहुत ही सार्थक एवं यथार्थ दोहे !
ReplyDeleteVery nice post ...
ReplyDeleteWelcome to my blog on my new post.
सार्थक दोहे.... अपने बच्चों के लिए अच्छा संग्रह मिला है आदरणीय
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकृति समय अरु धीरता, कभी न होते नष्ट,
ReplyDeleteऔषधि ये ही तीन हैं, हरते सारे कष्ट।
... . कमाल के हैं सभी दोने दोहे