उजाले का स्रोत



सदियों से
‘अँधेरे’ में रहने के कारण
‘वे’
अँधेरी गुफाओं में
रहने वाली मछलियों की तरह
अपनी ‘दृष्टि’ खो चुके हैं ।
उनकी देह में
अँधेरे से ग्रसित
मन-बुद्धि तो है
किंतु आत्मा नहीं
क्योंकि आत्मा
अँधेरे में नहीं रहती
वह तो स्वयं
‘उजाले का स्रोत’ होती है ।
                                                       -महेन्द्र वर्मा

6 comments:

  1. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति। मेरे ब्‍लाग पर आपका स्‍वागत है।

    ReplyDelete
  2. आपने थोड़े में बहुत बड़ी बात कह दी है.

    ReplyDelete
  3. आत्मा से अनभिज्ञ इंसान सच में अँधेरे में ही रहता है...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  4. जिंदगी का सच बयान करती प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  5. बड़ी बात सार्थक प्रस्तुति...!!

    ReplyDelete