शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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चींटी के पग

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सहमी-सी है झील शिकारे बहुत हुए, और उधर तट पर मछुवारे बहुत हुए । चाँद सरीखा कुछ तो टाँगो टहनी पर, जलते-बुझते जुगनू तारे बहुत हुए । ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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