शाश्वत शिल्प

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मन के नयन

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मन के नयन खुले हैं जब तक, सीखोगे तुम जीना तब तक । दीये को कुछ ऊपर रख दो, पहुँचेगा उजियारा सब तक । शोर नहीं बस अनहद से ही, सदा पहुँच जाए...
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महेन्‍द्र वर्मा
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