शाश्वत शिल्प
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दीपक
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सूर्य से दीये तक - अग्नि की वैश्विक यात्रा
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दीप कैसा हो कहीं हो, सूर्य का अवतार है यह जल गया है दीप तो अँधियार ढल कर ही रहेगा दीप के लिए अभिव्यक्त कवि नीरज की इन सरल-सहज पंक्तियों ...
दीये का संकल्प
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तिमिर तिरोहित होगा निश्चित दीये का संकल्प अटल है। सत् के सम्मुख कब टिक पाया घोर तमस की कुत्सित चाल, ज्ञान रश्मियों से बिंध कर ही...
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शुभ की कामना
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घर का कोना-कोना उजला हुआ करे तो अच्छा हो, मन के भीतर में भी दीपक जला करे तो अच्छा हो। कहते हैं कुछ लोग कि कोई ऊपर वाला सुनता है, तेरा मेरा...
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