शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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सूर्य से दीये तक - अग्नि की वैश्विक यात्रा

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  दीप कैसा हो कहीं हो,  सूर्य का अवतार है यह जल गया है दीप तो  अँधियार ढल कर ही रहेगा दीप के लिए अभिव्यक्त कवि नीरज की इन सरल-सहज पंक्तियों ...

दीये का संकल्प

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तिमिर तिरोहित होगा निश्चित दीये का संकल्प अटल है। सत् के सम्मुख कब टिक पाया घोर तमस की कुत्सित चाल, ज्ञान रश्मियों से बिंध कर ही...
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शुभ की कामना

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घर का कोना-कोना उजला हुआ करे तो अच्छा हो, मन के भीतर में भी दीपक जला करे तो अच्छा हो। कहते हैं कुछ लोग कि कोई ऊपर वाला सुनता है, तेरा मेरा...
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महेन्‍द्र वर्मा
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