शाश्वत शिल्प
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धर्म
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धर्म से दूर होती नैतिकता
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अलग-अलग संस्कृति में धर्म का अर्थ अलग-अलग होना संभव है । इसी प्रकार नैतिकता के अर्थ में भी किंचित भिन्नता हो सकती है । किंतु सभी संस्क...
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जिज्ञासा और तर्क - मनुष्य के धर्म
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मनुष्य और अन्य प्राणियों में महत्पूर्ण अंतर यह है कि मनुष्य में सोचने, तर्क करने और विकसित भाषा का प्रयोग करने की क्षमता होती है । शेष कार...
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शिक्षा, धार्मिकता और मानव-विकास
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मनुष्य ने पिछली कुछ सदियों में ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व विस्तार किया है । ज्ञान के इस विस्तार ने बहुत सी पारंपरिक मान्यत...
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हम भारत के लोग
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आज से पचास हज़ार वर्ष पूर्व जब न तो आज के समान जातियाँ थीं, न संगठित धर्मों का अस्तित्व था, न कोई देश था न कोई राज्य, तब कबीलाई समाज का अस्...
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तीन सौ धर्मों के तीन सौ ईश्वर
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प्रकृति और उसकी शक्तियाँ शाश्वत हैं । मनुष्य ने सर्वप्रथम प्राकृतिक शक्तियों को ही विभिन्न देवताओं के रूप में प्रतिष्ठित किया । मनुष...
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परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान
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आज से हज़ारों वर्ष पूर्व जब मनुष्य ने प्राकृतिक घटनाओं को समझना प्रारंभ किया तब उसके पास पर्याप्त ज्ञान नहीं था । इसलिए उसने अनुमान के आ...
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आइन्स्टीन ने धर्म और ईश्वर के संबंध में क्या कहा था
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14 जुलाई, 1930 को, अल्बर्ट आइंस्टीन ने भारतीय दार्शनिक, संगीतकार और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का बर्लिन के अपने घर में स्वाग...
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