शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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होली का दस्तूर

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 देहरी पर आहट हुई, फागुन पूछे कौन मैं बसंत तेरा सखा, तू क्यों अब तक मौन। निरखत बासंती छटा, फागुन हुआ निहाल इतराता सा वह चला, लेकर ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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