शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

▼
Showing posts with label मंजि़ल. Show all posts
Showing posts with label मंजि़ल. Show all posts

जो भी होगा अच्छा होगा

›
जो  भी   होगा  अच्छा   होगा, फिर क्यूँ सोचें कल क्या होगा । भले  राह  में  धूप  तपेगी, मंज़िल पर तो साया होगा । दिन को ठोकर खाने वाले, ...
10 comments:

मौसम की मक्कारी

›
हरियाली ने कहा देख लो  मेरी यारी कुछ दिन और, सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और । बाँस थामकर  नाच रहा था  छोटा बच्चा रस्सी पर, दिख...
14 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
महेन्‍द्र वर्मा
View my complete profile
Powered by Blogger.