शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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मंजि़ल
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जो भी होगा अच्छा होगा
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जो भी होगा अच्छा होगा, फिर क्यूँ सोचें कल क्या होगा । भले राह में धूप तपेगी, मंज़िल पर तो साया होगा । दिन को ठोकर खाने वाले, ...
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मौसम की मक्कारी
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हरियाली ने कहा देख लो मेरी यारी कुछ दिन और, सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और । बाँस थामकर नाच रहा था छोटा बच्चा रस्सी पर, दिख...
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