शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
(Move to ...)
Home
▼
Showing posts with label
शिकारे
.
Show all posts
Showing posts with label
शिकारे
.
Show all posts
चींटी के पग
›
सहमी-सी है झील शिकारे बहुत हुए, और उधर तट पर मछुवारे बहुत हुए । चाँद सरीखा कुछ तो टाँगो टहनी पर, जलते-बुझते जुगनू तारे बहुत हुए । ...
7 comments:
›
Home
View web version