शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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सद्गुण ही पर्याप्त है

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    पुष्पगंध विसरण करे, चले पवन जिस छोर, किंतु कीर्ति गुणवान की, फैले चारों ओर । ग्रंथ श्रेष्ठ गुरु जानिए, हमसे कुछ नहिं लेत, बिना क्र...
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महेन्‍द्र वर्मा
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