शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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सद्गुण
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सद्गुण
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सद्गुण ही पर्याप्त है
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पुष्पगंध विसरण करे, चले पवन जिस छोर, किंतु कीर्ति गुणवान की, फैले चारों ओर । ग्रंथ श्रेष्ठ गुरु जानिए, हमसे कुछ नहिं लेत, बिना क्र...
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