शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
(Move to ...)
Home
▼
Showing posts with label
सिजदा
.
Show all posts
Showing posts with label
सिजदा
.
Show all posts
अब न कहना
›
सबने उतना पाया जिसका हिस्सा जितना, क्या मालूम, मेरे भीतर कुछ मेरा है या सब उसका, क्या मालूम । कि़स्मत का आईना बेशक होता है बेहद नाज़ुक, ...
10 comments:
›
Home
View web version