शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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ग़ज़ल
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उतना ही सबको मिलना है, जिसके हिस्से में जितना है। क्यूं ईमान सजा कर रक्खा, उसको तो यूं ही लुटना है। ढोते रहें सलीबें अपनी, जिन...
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आभास
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लगता है सत्य कभी अथवा आभास, तिनके-से जीवन पर मन भर विश्वास। स्वप्नों की हरियाली जीवन पाथेय बनी, जग जगमग कर देती आशा की एक कनी। डाल-डाल उम्र...
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जिस पर तेरा नाम लिखा हो
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लम्हा एक पुराना ढूंढ, फिर खोया अफ़साना ढूंढ। वे गलियां वे घर वे लोग, गुज़रा हुआ ज़माना ढूंढ। भला मिलेगा क्या गुलाब से, बरगद ए...
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डरता है अंधियार
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जगमग हर घर-द्वार कि अब दीवाली आई, पुलकित है संसार कि अब दीवाली आई। दुनिया के कोने-कोने में दीप जले हैं, डरता है अंधियार कि ...
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जानना और समझना
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जो जानते हैं, जरूरी नहीं कि वे समझते भी हों। लेकिन जो समझते हैं, वे जानते भी हैं। जानना पहले होता है, स...
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पितर-पूजन का पर्व
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आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की कोई तिथि। अभी सूर्योदय में कुछ पल शेष है। छत्तीसगढ़ के एक गांव का घर। ...
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जिस्म पर फफोले
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पराबैगनी किरणों के एक समूह ने ओजोन छिद्र से धरती की ओर झांका सयानी किरणों के निषेध के बावजूद कुछ ढीठ, उत्पाती किरणें धरती पर...
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नेह का दीप
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सहमे से हैं लोग न जाने किसका डर है, यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है। दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से, अल्लामा को दुख सहते देखा अक...
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