शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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बुरा लग रहा था

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कोई शख़्स ग़म से घिरा लग रहा था, हुआ जख़्म उसका हरा लग रहा था। मेरे दोस्त ने की है तारीफ़ मेरी, किसी को मग़र ये बुरा लग रहा था। ये ...
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तेरा-मेरा-सब का

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सबसे ज्यादा अपना है,  वह जो मेरा साया है। मन की आंखें खुल जातीं, दिल में अगर उजाला है। कुछ आखर कुछ मौन बचा, यह मेरा सरमाया है। दुन...
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ग़ज़ल

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उतना ही सबको मिलना है, जिसके हिस्से में जितना है। क्यूं ईमान सजा कर रक्खा, उसको तो यूं ही लुटना है। ढोते रहें सलीबें अपनी,  जिन...
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आभास

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लगता है सत्य कभी अथवा आभास, तिनके-से जीवन पर मन भर विश्वास। स्वप्नों की हरियाली जीवन पाथेय बनी, जग जगमग कर देती आशा की एक कनी। डाल-डाल उम्र...
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जिस पर तेरा नाम लिखा हो

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लम्हा  एक  पुराना  ढूंढ, फिर खोया अफ़साना ढूंढ। वे गलियां वे घर वे लोग, गुज़रा हुआ ज़माना ढूंढ। भला मिलेगा क्या गुलाब से, बरगद  ए...
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डरता है अंधियार

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जगमग हर घर-द्वार  कि अब दीवाली आई, पुलकित  है  संसार  कि  अब  दीवाली आई। दुनिया के  कोने-कोने  में  दीप  जले हैं,  डरता है अंधियार कि ...
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जानना और समझना

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                                   जो जानते हैं, जरूरी नहीं कि वे समझते भी हों। लेकिन जो समझते हैं, वे जानते भी हैं। जानना पहले होता है, स...
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पितर-पूजन का पर्व

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                                     आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की कोई  तिथि। अभी सूर्योदय में कुछ पल शेष है। छत्तीसगढ़ के एक गांव का घर। ...
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महेन्‍द्र वर्मा
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