शाश्वत शिल्प

विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति

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बेवजह

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मुश्किलों को क्यों हवा दी बेवजह, इल्म की क्यों बंदगी की बेवजह । हाथ   में   गहरी  लकीरें  दर्ज  थीं, छल किया तक़़दीर ने ही...
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बातों का फ़लसफ़ा

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  ज़रा-ज़रा इंसाँ   होने से मन को सुकून मिलना तय है ]   अगर देवता बन बैठे तो हरदम दोष निकलना तय है । सूरज गिरा क्षिति...
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महेन्‍द्र वर्मा
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