शाश्वत शिल्प
विज्ञान-कला-साहित्य-संस्कृति
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बाँसुरी हो गई
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इल्म की चाह ही बंदगी हो गई, अक्षरों की छुअन आरती हो गई । सामना भी हुआ तो दुआ न सलाम, अजनबी की तरह ज़िंदगी हो गई । प्यास ही प्यास...
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आइन्स्टीन ने धर्म और ईश्वर के संबंध में क्या कहा था
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14 जुलाई, 1930 को, अल्बर्ट आइंस्टीन ने भारतीय दार्शनिक, संगीतकार और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का बर्लिन के अपने घर में स्वाग...
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उसके हृदय में पीर है सारे जहान की
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नीरज - श्रद्धांजलि विनम्र श्रद्धांजलि 4 जनवरी, 1925 - 19 जुलाई, 2018 हिंदी के श्रेष्ठ कवियों के स्वर्णयुग का अंतिम सूरज अस्त हो गय...
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शिवसिंह सरोज
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‘शिवसिंह सरोज’, एक पुस्तक का नाम है, जिसकी रचना आज से 143 वर्ष पूर्व जिला उन्नाव, ग्राम कांथा निवासी शिवसिंह सेंगर नाम के एक साहित्यानुरा...
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एक बस्तरिहा गीत और झपताल
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परंपरागत जनजातीय गीतों की कुछ अपनी विशिष्टताएं होती हैं । पहली, इनमें 3, 4 या कहीं-कहीं 5 स्वरों का ही उपयोग होता है । आधुनिक संगीत म...
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तीन मणिकाएं
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1. तुम्हारा झूठ उसके लिए सच है मेरा सच किसी और के लिए झूठ है ऐसा तो होना ही था क्योंकि सच और झूठ को तौलने वाला तराजू अलग-अलग है हम सबका...
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विमोचन
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छ.ग. प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, ज़िला इकाई, बेमेतरा के तत्वावधान में मेरा काव्य संग्रह ‘ ‘ श्वासों का अनुप्रास’ ’ का विमोचन देश के स...
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होली का दस्तूर
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देहरी पर आहट हुई, फागुन पूछे कौन मैं बसंत तेरा सखा, तू क्यों अब तक मौन। निरखत बासंती छटा, फागुन हुआ निहाल इतराता सा वह चला, लेकर ...
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