फागुन आता देखकर, उपवन हुआ निहाल,
अपने तन पर लेपता, केसर और गुलाल।
तन हो गया पलाश-सा, मन महुए का फूल,
फिर फगवा की धूम है, फिर रंगों की धूल।
मादक महुआ मंजरी, महका मंद समीर,
भँवरे झूमे फूल पर, मन हो गया अधीर।
ढोल मंजीरे बज रहे, उड़े अबीर गुलाल,
रंगों ने ऊधम किया, बहकी सबकी चाल।
कोयल कूके कान्हड़ा, भँवरे भैरव राग,
गली-गली में गूँजता, एक ताल में फाग।
नैनों की पिचकारियाँ, भावों के हैं रंग,
नटखट फागुन कर रहा, अंतरमन को तंग।
रंगों की बारिश हुई, आँधी चली गुलाल,
मन भर होली खेलिए, मन न रहे मलाल।
उजली-उजली रात में, किसने गाया फाग,
चाँद छुपाता फिर रहा, अपने तन के दाग।
नेह-आस-विश्वास से, हुए कलुष सब दूर,
भीगे तन-मन-आत्मा, होली का दस्तूर।
सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
-महेन्द्र वर्मा
मादक महुआ मंजरी, महका मंद समीर,
ReplyDeleteभँवरे झूमे फूल पर, मन हो गया अधीर।|
नेह-आस-विश्वास से, हुए कलुष सब दूर,
भीगे तन-मन-आत्मा, होली का दस्तूर।|
बहुत बहुत बधाई -
शुभकामनायें ||
vaah jitni bhi tareef ki jaaye is holi ke in doho ki kum hai behtreen rachna.
ReplyDeleteहोली के रंग में रंगी पक्तियां . अति सुन्दर . होली की अग्रिम बधाई .
ReplyDeleteमस्त हैं होली के दोहे, सुंदरतम मन को मोहे
ReplyDeleteनेह-आस-विश्वास से, हुए कलुष सब दूर,
ReplyDeleteभीगे तन-मन-आत्मा, होली का दस्तूर।
बहुत सुंदर फागुनी दोहे... होली की अग्रिम शुभकामनाएं...
बहुत सुंदर दोहे....शुभकामनायें
ReplyDeleteकोयल कूके कान्हड़ा, भँवरे भैरव राग,
ReplyDeleteगली-गली में गूँजता, एक ताल में फाग।
बहुत खूब .रंगों की काव्यात्मक बरसात ले आई होरी ...
बहुत सुन्दर उमंग भरते दोहे !
ReplyDeleteआभार !
नैनों की पिचकारियाँ, भावों के हैं रंग,
ReplyDeleteनटखट फागुन कर रहा, अंतरमन को तंग।
begining to end each and every DOHA
SUPERB.
होरी के रंग दोहों के संग ....शुक्रिया द्रुत टिपण्णी के लिए ...
ReplyDeleteढोल मंजीरे बज रहे, उड़े अबीर गुलाल,
ReplyDeleteरंगों ने ऊधम किया, बहकी सबकी चाल ..
वाह .. हर दोहा होली के नए रंग में भिगो गया ... लाजवाब दोहे ...
होली के रंगो मे सराबोर फ़ागुनी दोहे बेहद शानदार है
ReplyDeleteनैनों की पिचकारियाँ, भावों के हैं रंग,
ReplyDeleteनटखट फागुन कर रहा, अंतरमन को तंग।
सभी दोहे बहुत सुंदर ...
फागुन आता देखकर, उपवन हुआ निहाल,
ReplyDeleteअपने तन पर लेपता, केसर और गुलाल।
उपवन का तन पर केसर और गुलाल लेपना ....!!!!! विशेष लगा
नेह-आस-विश्वास से, हुए कलुष सब दूर,
भीगे तन-मन-आत्मा, होली का दस्तूर।|
होली पर बहुत बहुत शुभकामनाएं
अब तो फागुन में आपके दोहों का इंतजार रहता है, मनभावन.
ReplyDeleteभाई महेंद्र जी अद्भुत दोहे |होली की सपरिवार शुभकामनायें |
ReplyDeleteबहुत अच्छे लगे फागुनी रंग में पेगे दोहे |होली के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं |
ReplyDeleteआशा
आपने तो भिगो दिया... रंग गए हम इन दोहों के रंग में!!
ReplyDeleteरंग और उमंग का ये होली त्यौहार हैं ...
ReplyDeleteखेलते हैं होली अबीर और गुलाल हैं ....
रंगों की बारिश हुई, आँधी चले गुलाल,
ReplyDeleteमन भर होली खेलिए, मन न रहे मलाल।
....होली की शुभकामनाएं..
वाह!
ReplyDeleteआपके इस प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 05-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
होली के सुन्दर रंगों से सजे हुए सुन्दर दोहे ....
ReplyDelete‘‘तन हो गया पलाश सा मन महुए का फूल’’ - वाह क्या अभिव्यक्ति है ... फागुन पर इन दोहों ने सचमुच वासंती चित्र खींच दिए...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरंगों की पिचकारी..नहीं..नहीं आपकी कलम की पिचकारी भिंगो रही है..बहुत सुन्दर दोहे हैं..
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत शुभकामनये
ReplyDeleteबहुत प्यारे रंगबिरंगे दोहे...
ReplyDeleteआपको होली की अनेकों शुभकामनाएँ.
सादर.
sabhi dohe rangeele hain .SARTHAK PRASTUTI HETU BADHAI . ye hai mission london olympic
ReplyDeleteसच में फ़ागुनी दोहे..।
ReplyDeleteआपको भी होली की शुभकामनायें।
फागुन और होली के रंगों से सराबोर बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDelete.
क्या सिलेंडर भी एक्सपायर होते है ?
bahut sunder prarstuti
ReplyDeleteaapko bhi Holi ki hardik shubkamanye
अहा!
ReplyDeleteफागुन और होली पर इससे बढिया और कुछ हो नहीं सकता।
सभी दोहे एक से बढ़कर एक...
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ!
होली पर बहुत बहुत शुभकामनाएं
ReplyDeleteकोयल कूके कान्हड़ा, भँवरे भैरव राग,
ReplyDeleteगली-गली में गूँजता, एक ताल में फाग।
भई वाह!! इन होली के दोहों ने साबित कर दिया है कि दोहों की परंपरा में आपका जवाब नहीं. एक से बढ़ कर एक.
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ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहे लिखे हैं … बधाई !
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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आज बिरज में होरी रे रसिया --होरी रे, होरी रे , बरजोरी रे रसिया---Happy Holi----
ReplyDeleteHappy Holi
ReplyDeleteउजली-उजली रात में, किसने गाया फाग,
ReplyDeleteचाँद छुपाता फिर रहा, अपने तन के दाग।
वाह ! बहुत खूब !
दोहे पढ़कर मन फागुन फागुन हो गया !
आपको सपरिवार रंगोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ !
'नेह-आस-विश्वास से, हुए कलुष सब दूर,
ReplyDeleteभीगे तन-मन-आत्मा, होली का दस्तूर।'
- कितना कल्याणकारी दस्तूर .
धन्य है कवि का मन जो इसकी कामना करता है !
शुभकामनायें !
होली तो हो ली, मगर आपके दोहे मौसम को रंगीन बनाए रखेंगे देर तक..
ReplyDeletebahut sundar aur man ke andar tk prabhavit karane wale dohe .....badhai verma ji
ReplyDeleteहर दोहा है फागुनी , नपा तुला हर रंग
ReplyDeleteफागुन जो पढ़ ले इन्हें, रह जायेगा दंग.